नई दिल्ली: अक्सर आपने देखा होगा कि इंग्लिश मीडियम और हिंदी मीडियम के बच्चो के साथ सबसे ज़्यादा यह परेशनी होती है कि, उन्हें इंग्लिश समझ तो आती है, लेकिन बोलने में हिचकिचाहट होती है, जो लोग इस स्टोरी को पड़ रहे होंगे उन मे से कुछ लोगो को यह भी लग रहा होगा कि शायद यह उनकी आपबीती हो, और अगर आपको ऐसा लग भी रहा है तो यह काफी हद तक सही है. क्योकि भारत के 85 फीसदी युवाओ की यही परेशानी है, जिस पर आज हम बात करने जा रहे है. इंग्लिश मीडियम में पढ़े हुए विधार्थी भी अक्सर इंग्लिश में बात करने से घबराते है, जिसकी एक वजह यह भी है कि जब भी वो इंग्लिश में बात करने जा रहे होते है तो वो सबसे पहले अपने मस्तिष्क में हिंदी को इंग्लिश में कन्वर्ट करते है, उसके बात फिर उस एक सेन्टेन्स बोलते है जिसकी वजह से वो काफी फंबल भी करते है. एक सलाह के तौर पर हम आपको बताना चाहेंगे, कि जब भी आप इंग्लिश में किसी से बात करने जाए तो आप इंग्लिश में ही सोचे, जिससे जब भी आप इंग्लिश बोलेंगे तो आपका फंबल नहीं होगा साथ ही आपमें कॉन्फिडेंट भी आएंगे, और यकीन मानिये जब आप किसी भी वाक्य को फुल कॉन्फीडेंट के साथ बोलेंगे आपकी गिनती अच्छे इंग्लिश वक्ता के रूम में की जाने लगेगी. 14 -15 साल के बच्चों के माता-पिता का क्या होता है फर्ज 24 जुलाई की महत्वपूर्ण घटनाएं इतिहास के महत्वपूर्ण प्रश्न जिससे डरता है हर विद्यार्थी