दुबई: रियाद में संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और अरब समकक्षों के एक समूह के बीच एक बैठक के दौरान संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के विदेश मंत्री और वरिष्ठ फिलिस्तीनी अधिकारियों के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। यह बैठक विश्व आर्थिक मंच के दौरान आयोजित की गई थी। फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास के सबसे करीबी फिलिस्तीनी मंत्री हुसैन अल-शेख सऊदी अरब, मिस्र, जॉर्डन, कतर, कुवैत और UAE के विदेश मंत्रियों के साथ मौजूद थे। बैठक का उद्देश्य गाजा के लिए युद्ध के बाद की समन्वित योजना के बारे में चर्चा करना था। रिपोर्ट के अनुसार , बैठक के दौरान फिलिस्तीनी मंत्री अल-शेख ने कहा कि फिलिस्तीनी प्राधिकरण (PA) संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) और अरब देशों के अनुरोधों के जवाब में सुधारों को लागू कर रहा है और एक नई सरकार स्थापित कर रहा है, लेकिन उसे पर्याप्त आर्थिक और राजनीतिक सहायता नहीं मिल रही है। जैसे ही बैठक समाप्त हुई, UAE के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद ने विरोध किया और कहा कि उन्होंने फिलिस्तीनी प्राधिकरण के भीतर कोई सार्थक सुधार नहीं देखा है। इसके बाद UAE के मंत्री ने फिलिस्तीनी नेतृत्व को “अली बाबा और चालीस चोर” कहा , साथ ही कहा कि वरिष्ठ फिलिस्तीनी अधिकारी “बेकार” हैं और “उनकी जगह एक-दूसरे को लाने से वही परिणाम निकलेंगे।” उन्होंने यहां तक सवाल किया, “वास्तविक सुधारों के बिना UAE फिलिस्तीनी प्राधिकरण को मदद क्यों देगा?” इस पर प्रतिक्रिया देते हुए फिलिस्तीनी मंत्री अल-शेख ने UAE के विदेश मंत्री पर चिल्लाते हुए कहा कि कोई भी फिलिस्तीनी प्राधिकरण को यह नहीं बताएगा कि उसे अपने सुधार कैसे लागू करने हैं। गरमागरम बहस को शांत करने के प्रयास में, सऊदी विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान अल सऊद ने बीच बचाव करते हुए कहा कि सुधार के लिए समय की आवश्यकता है। हालाँकि, चर्चा पहले ही हाथ से निकल चुकी थी, UAE मंत्री गुस्से में कमरे से बाहर निकल गए और दोनों पक्ष एक-दूसरे पर भड़क गए। जॉर्डन के विदेश मंत्री अयमान अल-सफादी बैठक से उठकर चले गए और कुछ मिनट बाद UAE के विदेश मंत्री के साथ वापस लौटे। एक अमीराती अधिकारी ने UAE के विदेश मंत्री द्वारा दिए गए बयान की पुष्टि करते हुए कहा कि, "महामहिम ने कहा कि यदि फिलिस्तीनी प्राधिकरण अपने लोगों पर उतना ही ध्यान दे, जितना वह इजरायल के साथ सुरक्षा समन्वय पर देता है, तो फिलिस्तीनियों की स्थिति काफी बेहतर होगी।" बता दें कि, फिलिस्तीन प्राधिकरण (PA) और UAE का इतिहास उथल-पुथल भरा रहा है, खासकर तब से जब अबू धाबी ने 2020 में इजरायल के साथ राजनयिक संबंध बहाल किए हैं। फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास और UAE के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद के बीच अच्छे संबंध नहीं हैं। हालांकि, रिपोर्टों में दावा किया गया है कि UAE एकमात्र ऐसा देश नहीं है, जो फिलिस्तीन और अब्बास से नाराज़ है, क्योंकि सऊदी अरब, मिस्र, जॉर्डन और कतर सहित अधिकांश अन्य उपस्थित लोगों की भी फिलिस्तीन के प्रति थोड़ी बहुत नाराज़गी है ही। बैठक में शामिल कई लोगों का मानना था कि अब्बास फिलिस्तीन प्राधिकरण को एक ऐसी इकाई में बदलने के लिए आवश्यक बड़े सुधारों को लागू करने के लिए तैयार नहीं थे, जो उसे गाजा पर नियंत्रण वापस लेने और दो-राज्य समाधान की ओर बढ़ने की अनुमति देगा। कतर, जो अब्बास से उम्मीद करता था कि वह एक ऐसे प्रधानमंत्री का नाम बताए, जिसे इस्लामिक लोगों सहित फिलिस्तीनी समाज के सभी वर्गों का समर्थन प्राप्त हो, क्योंकि वे अब्बास से निराश हैं। कतर के अमीर ने फरवरी में देश का दौरा करते समय उन्हें यह संदेश दिया था। फिर भी, अब्बास ने अनुरोध को ठुकरा दिया और मोहम्मद मुस्तफा को चुना, जो एक करीबी विश्वासपात्र थे और जिनकी लोकप्रियता बहुत कम थी। 'आपको शर्म आनी चाहिए, राज्य में रोज़ हिंसा हो रही..', ममता सरकार को कोलकाता HC ने जमकर फटकारा, दी चेतावनी चुनावी हार के 2 दिन बाद निरहुआ ने शेयर किया ये खास पोस्ट 'आप परिवार सहित भ्रष्टाचार के मामले में जमानत पर हैं और..', राहुल गांधी पर क्यों भड़के नितेश राणे ?