लखनऊ: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हाल ही में हुई हिंसा के बाद स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। पुलिस उपद्रवियों की पहचान और उन्हें गिरफ्तार करने में जुटी हुई है। इस हिंसा में पुरुषों के साथ-साथ मुस्लिम महिलाएँ भी शामिल थीं। सोशल मीडिया पर एक वायरल वीडियो ने स्थिति को और भी चौंकाने वाला बना दिया है। वीडियो में एक बुर्का पहनी महिला पत्थरबाजी को मामूली घटना बताती नजर आ रही है। पत्रकार द्वारा पूछे गए सवालों पर महिला ने हिंसा को जरा भी गंभीरता से नहीं लिया। उसने कहा कि पुलिसवालों को लगी चोटें मामूली हैं, वे ठीक हो जाएँगे। लेकिन जो मारे गए, उनका वापस आना संभव नहीं। जब पत्रकार ने पूछा कि पत्थर क्यों फेंके गए, तो उसने इसे सामान्य बात मानते हुए कहा, "पथराव ही तो किया, जान से थोड़ी मारा।" इस बयान ने उनकी सोच और कानून के प्रति उनकी गंभीरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घटना का पूरा संदर्भ एक यूट्यूब चैनल के वीडियो में देखने को मिला। पत्रकार ने हिंसा प्रभावित इलाके का दौरा किया, जहाँ सड़कों पर पत्थर, टूटी गाड़ियाँ और खामोशी नजर आई। कई लोग मीडिया से बात करने को तैयार नहीं थे। वारसी हाउस के पास मिले कुछ लोग मीडिया के खिलाफ अपनी नफरत जताते हुए अंदर चले गए। एक महिला चश्मदीद ने स्वीकार किया कि पत्थरबाजी के लिए ईंट-पत्थर पहले से ही जमा थे। उसने पुलिस पर लाठीचार्ज का आरोप लगाते हुए कहा कि मजबूरी में ऐसा करना पड़ा। महिला ने यह भी कहा कि मस्जिद के सर्वे की खबर सुनते ही लोग एकत्र हो गए और हालात बिगड़ गए। इस घटना ने गंभीर सवाल उठाए हैं। जब इन महिलाओं की सोच यह है कि पत्थरबाजी सामान्य है और पुलिस को चोट लगना कोई बड़ी बात नहीं, तो यह सवाल उठता है कि क्या वे अपने बच्चों को ऐसी सोच से बचा पाएँगी? क्या वे उन्हें कानून और न्याय का सम्मान करना सिखा पाएँगी? यह घटनाएँ न केवल कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती हैं, बल्कि समाज के मूल्यों और जिम्मेदारियों पर भी सवाल खड़ा करती हैं। काशी का 115 साल पुराना उदयप्रताप कॉलेज 'वक्फ' का है..! अंदर बना ली अवैध मस्जिद-मज़ार उद्धव सेना में फिर मचेगी भगदड़..! MVA से निकलना चाहते हैं गुट के कई नेता मॉल के कर्मचारी ने तोड़ा शोरूम में रखा 1800000 का सामान, चौंकाने वाली है वजह