जकार्ता: इंडोनेशिया के उत्तरी प्रांत आचे के तट पर 140 रोहिंग्या मुस्लिमों की एक नाव आई, जिसमें अधिकतर महिलाएं और बच्चे थे। वे बांग्लादेश के कॉक्स बाज़ार से निकले थे और दो हफ्तों की लंबी यात्रा के बाद वहाँ पहुँचे। इस दौरान तीन लोगों की मौत हो गई, और 11 अन्य को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया। स्थानीय मछुआरों ने उन्हें तट पर उतरने से रोक दिया। मछुआरा समुदाय के प्रमुख मोहम्मद जबल ने कहा कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उन्हें डर है कि इससे स्थानीय लोगों के बीच अशांति फैल सकती है, क्योंकि रोहिंग्या जहाँ जाते हैं वहां अशांति फैलाते हैं। स्थानीय बंदरगाह पर एक बड़े बैनर में भी लिखा था कि वे इस क्षेत्र में रोहिंग्या शरणार्थियों के आगमन को अस्वीकार करते हैं। आचे पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार, यह समूह 9 अक्टूबर को मलेशिया जाने के इरादे से रवाना हुआ था, जिसमें शुरू में 216 लोग थे। रास्ते में करीब 50 लोग इंडोनेशिया के रियाउ प्रांत में उतर गए, जबकि बाकी आचे के तट तक पहुंचे। स्थानीय निवासियों ने उन्हें भोजन उपलब्ध कराया और संयुक्त राष्ट्र ने भी सहायता दी। पुलिस ने इस यात्रा में शामिल तीन संदिग्ध मानव तस्करों को गिरफ्तार किया है। रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय म्यांमार में भयंकर उत्पीड़न और भेदभाव का सामना कर रहा है। इस कारण लाखों रोहिंग्या, खासकर 2017 के बाद, बांग्लादेश और अन्य देशों में शरण ले रहे हैं। लेकिन मलेशिया, थाईलैंड, और इंडोनेशिया जैसे देश संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थी सम्मेलन के हस्ताक्षरकर्ता नहीं हैं, इसलिए वे शरणार्थियों को स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं हैं। हालाँकि, ये देश मानवीय आधार पर अस्थायी मदद प्रदान करते हैं। दूसरी ओर, कोई भी मुस्लिम देश रोहिंग्या मुस्लिमों को रखने के लिए तैयार नहीं हैं, क्योंकि उनका मानना है कि ये रोहिंग्या अशांति और अराजकता फैलाते है। लेकिन जब भारत सरकार इन अवैध रोहिंग्यों को बाहर निकालने की बात करती है, तो भारत के ही विपक्षी दल वोट बैंक की राजनीति के कारण इसका पुरजोर विरोध करते हैं, जबकि भारत में भी कई अवैध गतिविधियों में इन रोहिंग्याओं की संलिप्तता पाई गई है। डिजिटल अरेस्ट का बड़ा रैकेट ध्वस्त, लखनऊ में 300+ लोगों से करोड़ों की ठगी श्योपुर: स्कूल बस में भड़की भीषण आग, अंदर मौजूद थे कई बच्चे 'अब वायनाड के पास होंगे दो सांसद..', प्रियंका के लिए वोट मांगकर बोले राहुल गांधी