कोरोना संकट के बीच संयुक्त राष्ट्र की श्रम इकाई अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (ILO) के अनुसार, अप्रैल से जून के दौरान महज तीन महीने में ही करीब 30.5 करोड़ लोगों की पूर्णकालिक नौकरियां समाप्त हो सकती हैं. संगठन ने कोरोना वायरस महामारी के कारण लोगों की जाने वाली नौकरियों का पूर्वानुमान एक बार फिर से बढ़ा दिया है. संगठन ने पिछले पूर्वानुमान में कहा था कि इस महामारी के कारण जून तिमाही में हर सप्ताह औसतन 48 घंटे की कार्यअवधि वाले 19.5 करोड़ फुल टाइम नौकरियों का नुकसान हो सकता है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का बड़ा खुलासा, प्रभावित सेक्टर्स को मिल सकता राहत पैकेज अपने बयान में संगठन ने कहा कि महामारी पर काबू पाने के लिए दुनिया भर में लॉकडाउन के बढ़ाये जाने से उसे अनुमान में बदलाव करना पड़ा है. संगठन ने कहा कि इस महामारी के कारण अनौपचारिक क्षेत्र के 1.6 अरब कामगारों के समक्ष जीवनयापन का खतरा उत्पन्न हो चुका है क्योंकि महामारी के कारण उनके रोजी-रोटी के साधन बंद हो चुके हैं. यह पूरी दुनिया के 3.3 अरब कार्यबल का करीब आधा है. 2020-25 तक भारत सरकार ने रखा अर्थव्यवस्था को लेकर यह लक्ष्य इसके अलावासंयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने कहा कि रिटेल और मैन्युफैक्चरिंग रिस्क जैसे गंभीर संकट वाले क्षेत्रों में 43 करोड़ से अधिक इंटरप्राइजेज पर ज्यादा खतरा है. ILO के अनुसार, लॉकडाउन के कारण पहले महीने में श्रमिकों की आय में 60 फीसद की गिरावट देखी गई है. ILO के मुताबिक, अफ्रीका और अमेरिका में 80 फीसद से अधिक गिरावट, यूरोप और मध्य एशिया में 70 फीसद और एशिया और प्रशांत क्षेत्र में 21.6 फीसद गिरावट देखी गई है. कोरोना और लॉकडाउन के बीच चमका सोना, डिमांड में हुआ भारी इजाफा शेयर बाजार में बढ़त का दौर जारी, रुपए में भी बढ़ी चमक दुनिया में भारत बन सकता है बड़ा निर्यातक, सरकार तैयारी में जुटी