अवैध पाया गया MP का ये अस्पताल, पोल खुली तो हुआ सील

उज्जैन: मध्य प्रदेश के उज्जैन से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहाँ एक तीन मंजिला इमारत में चल रहे अस्पताल का संचालन पूरी तरह अवैध पाया गया है। इस चिकित्सालय के चिकित्सकों के पास दांतों के उपचार की डिग्री थी, लेकिन वे हड्डियों का उपचार कर रहे थे। इसके अलावा, इस चिकित्सालय में अन्य बीमारियों के मरीज भी भर्ती पाए गए। स्वास्थ्य विभाग की छापेमारी के पश्चात् यह मामला उजागर हुआ, और विभागीय अफसरों ने मरीजों को अन्य चिकित्सालयों में रैफर कर इस अस्पताल को सील कर दिया है।

मामला उज्जैन के उन्हेल रोड पर ढाबला फंटा के पास स्थित कैयरो केयर एवं हेल्थ वेलनेस सेंटर का है। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने बताया, जिले में चल रहे झोला छाप डॉक्टरों की जांच की जा रही है और साथ ही उन चिकित्सालयों की भी जांच हो रही है जिनका रजिस्ट्रेशन नहीं है। इस क्रम में मंगलवार को विभाग की टीम कैयरो केयर अस्पताल पहुंची। माधव नगर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. विक्रम रघुवंशी के नेतृत्व में आई टीम ने अस्पताल के मालिक की डिटेल मांगी, जो एक डेंटिस्ट निकले।

अस्पताल खोलने के लिए आवश्यक डिग्री नहीं मिलने पर, पता चला कि चिकित्सालय के मालिक जितेंद्र परमार हैं, लेकिन डिग्री डॉ. सिलोदिया की है। चिकित्सालय में जितेंद्र परमार की कई डिग्रियाँ लगी थीं, लेकिन इनमें से कोई भी डिग्री अस्पताल संचालन के लिए वैध नहीं थी। टीम प्रभारी डॉ. रघुवंशी के अनुसार, चिकित्सालय में लैब, एक्सरे, पैथोलॉजी और दो मेडिकल स्टोर भी थे, जिनके लिए जितेंद्र परमार के पास कोई लाइसेंस नहीं था।

जांच के चलते जितेंद्र परमार ने अपने अध्ययन के बारे में अलग-अलग बातें कीं, कभी अफ्रीका तो कभी जापान का नाम लिया, तथा आखिर में कहा कि उन्होंने ऑनलाइन पढ़ाई की है, मगर इसके प्रमाण भी नहीं दिए। न ही वे इंडियन मेडिकल काउंसिल तथा मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसिल में अपना रजिस्ट्रेशन दिखा सके। टीम ने चिकित्सालय के वार्डों की भी जांच की, जहाँ मरीजों को हाई डोज इंजेक्शन दिए जा रहे थे, जिससे उनकी किडनी को दीर्घकालिक नुकसान पहुँचने का खतरा था। स्वास्थ्य विभाग ने सभी मरीजों को तुरंत दूसरे चिकित्सालय में रैफर कर इस चिकित्सालय को सील कर दिया है।

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