देशभर में हर साल नवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व नौ दिनों तक चलता है और इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि का आयोजन मुख्यतः अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक होता है। इस पर्व की तैयारी कई दिन पहले से की जाती है, और भक्तजन इस दौरान उपवास रखते हैं, मंत्र जाप करते हैं, और विभिन्न पूजा विधियों का पालन करते हैं। नवरात्रि के दौरान मान्यताएँ और परंपराएँ नवरात्रि के दौरान कई मान्यताएँ और परंपराएँ निभाई जाती हैं, जो इस पर्व को और भी विशेष बनाती हैं। यहां हम मां दुर्गा से जुड़ी नौ महत्वपूर्ण बातों के बारे में विस्तार से जानेंगे। 1. देवी का जन्म पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब महिषासुर ने देवताओं को पराजित कर स्वर्ग पर कब्जा कर लिया, तो सभी देवताओं ने त्रिमूर्ति—ब्रह्मा, विष्णु, और शिव—के पास जाकर सहायता मांगी। त्रिमूर्ति ने अपने दिव्य गुणों से एक अद्वितीय आकृति बनाई, जिससे देवी दुर्गा का जन्म हुआ। इस आकृति में सभी देवताओं ने अपनी शक्तियाँ डालकर उन्हें अजेय बनाया। देवी दुर्गा को शक्ति का प्रतीक माना जाता है, और इसी कारण वे सबसे शक्तिशाली देवी मानी जाती हैं। 2. देवी की अष्ट भुजाएं देवी दुर्गा को अष्ट भुजाओं वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। विभिन्न शास्त्रों में उन्हें 10 भुजाओं वाली भी कहा गया है। वास्तु शास्त्र में 8 प्रमुख दिशाएं होती हैं: पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, उत्तर-पूर्व, दक्षिण-पूर्व, दक्षिण-पश्चिम, और उत्तर-पश्चिम। कुछ शास्त्रों में आकाश और पाताल की ओर को भी दिशा माना गया है। देवी की अष्ट भुजाएं यह दर्शाती हैं कि वे सभी दिशाओं से अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। 3. नौ दिन पूजा का कारण महिषासुर का वध करने के लिए देवी दुर्गा को 9 दिन लगे। इसलिए, नवरात्रि के दौरान देवी के विजय का उत्सव मनाया जाता है। मान्यता है कि हर दिन देवी ने एक अलग रूप धारण किया, और इस प्रकार हर दिन देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान भक्तजन नौ दिनों तक उपवास रखते हैं और भक्ति भाव से मां दुर्गा की आराधना करते हैं। 4. सिंह वाहिनी का महत्व देवी दुर्गा अपने वाहन सिंह पर सवार होती हैं। सिंह को शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि जब देवी दुर्गा संसार में बुराई और दुख का नाश करने के लिए निकलती हैं, तो वे सिंह पर सवार होकर जाती हैं। सिंह के साथ देवी का यह संबंध उनके बल और साहस को दर्शाता है। 5. त्रयंबके का अर्थ त्रयंबके का अर्थ है तीन आंखों वाली देवी। देवी दुर्गा को शिव का आधा रूप माना जाता है, और इसी कारण उनके तीन नेत्रों को अग्नि, सूर्य और चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है। इन तीन आंखों के माध्यम से वे संपूर्ण जगत पर नजर रखती हैं और अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। 6. 108 मंत्रों का जाप भगवान राम ने लंका जाने से पहले मां दुर्गा की पूजा की थी और उन्हें महिषासुर मर्दिनी के नाम से संबोधित किया था। रावण से युद्ध के पहले की गई यह पूजा महत्वपूर्ण थी। मान्यता है कि राम ने देवी को 108 नीलकमल चढ़ाए थे, इसलिए आज भी 108 मंत्रों का जाप शुभ माना जाता है। यह जाप भक्तों के लिए मानसिक शांति और आंतरिक शक्ति का स्रोत बनता है। 7. पितृपक्ष के बाद नवरात्रि पितृपक्ष में पितरों की पूजा की जाती है, जिसे श्रद्धा और मान्यता के साथ किया जाता है। इसके बाद, देवी पक्ष का आरंभ होता है, जिसे नवरात्रि कहा जाता है। यह मान्यता है कि पितृपक्ष के बाद घर की शुद्धि होती है और देवी का स्वागत किया जाता है। इस दिन से सभी प्रकार के त्योहारों की शुरुआत होती है, जो कि जीवन में उत्साह और आनंद लाते हैं। 8. तवायफ के घर की मिट्टी एक पुरानी मान्यता के अनुसार, तवायफ के घर जाने से पहले एक पुरुष अपनी सारी पवित्रता उसके आंगन में छोड़कर प्रवेश करता है, इसलिए तवायफ के आंगन की मिट्टी बहुत पवित्र मानी जाती है। इस मिट्टी का उपयोग देवी दुर्गा की मूर्ति बनाने में किया जाता है। यह मान्यता इस बात को दर्शाती है कि देवी की मूर्ति का निर्माण पवित्रता और श्रद्धा के साथ किया जाना चाहिए। 9. कन्या पूजन का महत्व कन्याओं को देवी का रूप माना जाता है, और उनकी महावारी शुरू होने से पहले उन्हें सबसे पवित्र समझा जाता है। अष्टमी और नवमी के दिन कुमारी कन्याओं को भोजन कराना, उन्हें उपहार देना और उनसे आशीर्वाद लेना एक महत्वपूर्ण परंपरा है। कहा जाता है कि यह पूजा स्वामी विवेकानंद ने 1901 में बेलुर मठ में शुरू की थी, और तब से यह परंपरा चली आ रही है। नवरात्रि केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह संस्कृति, परंपरा और भक्ति का प्रतीक है। इस दौरान मां दुर्गा की आराधना से न केवल भक्तों को मानसिक और आध्यात्मिक शांति मिलती है, बल्कि यह पर्व एकत्रित होकर परिवार और समाज में एकता और सौहार्द का संदेश भी फैलाता है। इस नवरात्रि में सभी भक्त मां दुर्गा से शक्ति, साहस और ज्ञान की प्रार्थना करें और अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का संकल्प लें। 10-12 लड़कियों को मुस्लिम बनाकर किया निकाह..! फ़िरोज़ के खिलाफ थाने पहुंची आदिवासी पत्नी भगवान आपसे खुश हैं कि नहीं? इन 8 संकेतों से जानिए सूर्य ग्रहण के दिन शुरू करें इन चीजों का दान, घर में रहेगी खुशहाली