अमावस्या पर पितरों को ऐसे दिलाएं शांति

सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है, विशेषकर पितरों की शांति और घर में खुशहाली के लिए। इस माह के अमावस्या तिथि का भी बड़ा महत्व है। इस दिन स्नान-दान के कार्य शुभ फलदायी माने गए हैं। इसे हरियाली अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महादेव-पार्वती की पूजा की जाती है। दृक पंचांग के मुताबिक, सावन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का आरंभ 03 अगस्त 2024 को दोपहर 03 बजकर 50 मिनट पर आरंभ होगा तथा अगले दिन यानी 04 अगस्त 2024 को शाम 04 बजकर 42 मिनट पर समाप्त होगा। इसलिए उदयातिथि के मुताबिक, 04 अगस्त को ही हरियाली अमावस्या मनाया जाएगा। इस वर्ष सिद्धि योग और पुष्य नक्षत्र में हरियाली अमावस्या मनाई जाएगी।

पितरों की शांति के लिए करें ये काम अमावस्या के दिन प्रातः जल्दी उठकर नदी या कुंड में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें. स्नान के पश्चात् सूर्य देव को तांबे के लोटे में जल भरकर अर्घ्य दें. अमावस्या के दिन पीपल या बरगद के वृक्ष पर जल एवं दूध को अवश्य चढ़ाएं. फिर वृक्ष पर चीनी, चावल और फूल अर्पित करें और तेल का दीपक प्रज्वलित करें. ॐ पितृभ्य: नम: मंत्र का जाप करें तथा शाम को सरसों के तेल का दीपक जलाएं. पितरों की शांति के लिए इस दिन कौवे, चींटियों, कुत्तों एवं गाय को भी खाना खिलाएं. अमावस्या के दिन गरीबों एवं  जरूरतमंदों को दान- दक्षिणा दें. इससे लोगों को शुभ फल मिलता है.

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