ये आसन जो करता है भगवान सूर्य को साक्षात नमन

भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त कर जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है। इसके लिए सूर्यनमस्कार के साथ भगवान सूर्य को तांबे के जलपात्र से अध्र्य देना भी बहुत उत्तम होता है। रविवार अर्थात कीर्ती, ऊर्जा, समृद्धि और संपन्नता प्रदान करने वाले सूर्य देवता का दिन है। इस दिन कई प्रकार से भगवान सूर्य का पूजन किया जाता है। भगवान सूर्य जो ज्योतिष विद्या में ग्रह - नक्षत्रों के अधिपति कहे गए हैं, जिन्हें तारागणों में सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त है, जो अपने तेज से शोक का नाश करते हैं और आरोग्यता के साथ श्रेष्ठ जीवन को प्रदान करते हैं।

भगवान सूर्य को लेकर एक श्लोक बेहद लोकप्रिय है। जिसमें कहा गया है कि भगवान सूर्य को प्रतिदिन नमस्कार करने वाले लोगों को हजारों जन्मों तक दरिद्रता प्राप्त नहीं होती है। सूर्य- नमस्कार को सर्वांग योग भी कहा जाता है, इसमें योग और विभिन्न आसनों का समावेश भी होता है। ये आसन साधक को पुष्टता और पूर्णप्रदान करते हैं।

कहा जाता है कि सूर्यनमस्कार के लिए सूर्योदय के समय को सबसे बेहतर माना जाता है यही नहीं सूर्यनमस्कार हमेशा खुली हवा में किया जाता है। यह आसन खाली पेट किया जाना और उचित है। सूर्यनमस्कार करने से मन शांत होता है, मन सदैव प्रसन्न बना रहता है। यह योग करीब तेरह बार किया जाता है। इस योग से सूर्योपासना भी होती है।

इसके प्रभाव से स्मरण शक्ति का विकास होता है। स्मरण शक्ति तीव्र होती है, तो वहीं पश्चिमी वैज्ञानिक गार्डनर रोनी द्वारा कहा गया है, कि सूर्य श्रेष्ठ औषधि है। इसकी किरणों से कई रोग दूर होते हैं। जिसमें सर्दी, खांसी, न्यूमोनिया और कोढ़ भी दूर होता है। सूर्य नमस्कार की स्थिति प्रार्थनासन की है। अंतिम स्थितियों तक सभी योगासन पूर्ण हो जाते हैं। इस मंत्र के साथ भगवान सूर्य के विभिन्न नामों का मंत्रोक्त उच्चारण करने से आध्यात्मिक चेतना का विकास होता है। भगवान सूर्य प्रसन्न होकर आरोग्य का वरदान देते हैं।

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