पटना: बिहार में शिक्षकों के फर्जी उपस्थिति दर्ज करने के मामलों को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा विभाग ने सख्त कदम उठाए हैं। विभाग ने ऐसे शिक्षकों को नोटिस जारी किया है जो बिना स्कूल आए ई-शिक्षा कोष ऐप पर फर्जी तरीके से अपनी हाजिरी लगा रहे थे। इसके साथ ही विभाग ने एक नया नियम भी लागू किया है, जिसके तहत शिक्षकों को हर दिन स्कूल परिसर या कक्षा की लाइव फोटो के साथ अपनी सेल्फी अपलोड करना अनिवार्य कर दिया गया है। शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा विभाग ने ई-शिक्षा कोष ऐप नामक एक मोबाइल ऐप लॉन्च किया था। इसका उद्देश्य था कि शिक्षक अपनी उपस्थिति स्कूल परिसर में मौजूद रहते हुए ही दर्ज करें। प्रक्रिया के तहत शिक्षक अपनी सेल्फी लेकर इस ऐप पर अपलोड करते थे।हालांकि, कुछ शिक्षकों ने इस ऐप का दुरुपयोग करना आरम्भ कर दिया। ये शिक्षक स्कूल न आने के बावजूद अपनी गैरमौजूदगी में किसी अन्य शिक्षक के फोन से ली गई पुरानी सेल्फी अपलोड करके उपस्थिति दर्ज कर लेते थे। इस प्रकार वे बिना स्कूल आए काम का फर्जी रिकॉर्ड बना रहे थे। वही इस प्रणाली के लागू होने के समय शिक्षकों ने इसका विरोध किया था। उनका तर्क था कि यह प्रक्रिया असुविधाजनक और शिक्षक समुदाय के प्रति अविश्वास प्रकट करती है। लेकिन बाद में कुछ शिक्षकों ने इसी प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल शुरू कर दिया। जब विभाग को शिक्षकों द्वारा किए जा रहे इस फर्जीवाड़े की जानकारी मिली, तो उन्होंने तुरंत कार्रवाई की। ऐसे शिक्षकों को नोटिस जारी किया गया, और उनके खिलाफ आवश्यक अनुशासनात्मक कदम उठाने का निर्णय लिया गया। नया नियम: उपस्थिति प्रक्रिया में पारदर्शिता शिक्षा विभाग ने अब नया नियम लागू किया है। इस नियम के तहत शिक्षकों को अब सिर्फ अपनी सेल्फी ही नहीं, बल्कि हर दिन स्कूल परिसर या कक्षा का लाइव फोटो भी ई-शिक्षा कोष ऐप पर अपलोड करना होगा। इस प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि शिक्षक वास्तव में स्कूल में उपस्थित हों और अपने शिक्षण कार्य का पालन करें। नए निर्देशों के मुताबिक: * शिक्षकों को हर दिन अपने स्कूल परिसर या कक्षा से एक नई फोटो अपलोड करनी होगी। * अगर कोई शिक्षक इस नियम का पालन नहीं करता है, तो उसे अनुपस्थित माना जाएगा। * शिक्षकों के फर्जी उपस्थिति मामलों की पहचान करने के लिए ऐप में डेटा की निगरानी और क्रॉस-चेकिंग की जाएगी। शिक्षा विभाग ने उन शिक्षकों को भी नोटिस जारी किया है जिन्होंने ऐप के माध्यम से फर्जी तरीके से अपनी उपस्थिति दर्ज की है। दोषी पाए जाने वाले शिक्षकों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। विभाग का कहना है कि इस तरह के कृत्य न सिर्फ शैक्षिक वातावरण को प्रभावित करते हैं, बल्कि छात्रों के हितों के साथ भी खिलवाड़ करते हैं। इस नए कदम से शिक्षकों की उपस्थिति में पारदर्शिता एवं जिम्मेदारी तय करने की उम्मीद है। विभाग का मानना है कि यह प्रक्रिया स्कूलों में अनुशासन और शिक्षकों की नियमितता सुनिश्चित करेगी। इसके अलावा, यह छात्रों के लिए बेहतर शिक्षण माहौल प्रदान करने में मददगार होगी। 'आप तो जमानत पाते ही मंत्री बन गए..', किस नेता पर भड़का सुप्रीम कोर्ट ? एक क्विंटल चांदी की सिल्लियां, लाखों की नकदी...! यूपी में मिला कुबेर का खज़ाना महाराष्ट्र में पर्यवेक्षक बनाए गए सीतारमण और विजय रूपाणी, विधायकों संग करेंगे बैठक