भगवान शिव के बहुत से रूप है, जिनमे से एक रूप अर्धनारीश्वर का भी है, जिसे सभी जानते है. लेकिन क्या आप जानते है, की भगवान गणेश ने भी अर्धनारीश्वर रूप धारण किया था. जिसे गणेशी के नाम से जाना जाता है, ऐसे तो भगवान गणेश के बहुत से रूप है, लेकिन गणेशी उनका एक विचित्र रूप है, जिसमे भगवान गणेश ने स्त्री रूप धारण किया है. भगवान गणेश के इस रूप का वर्णन स्कन्द पुराण में किया गया है, जो पृथ्वी पर केवल मंदाकिनी मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है. मंदाकिनी मंदिर राजस्थान राज्य के भीलवाडा शहर में स्थित है, जिसमे भगवान गणेश स्त्री रूप में सूर्य के समान तेजस, मुख मंडल लिए हुए अपने भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण करते है. भगवान गणेश के इस मंदिर में उनके एक हांथ में मोदक व दूसरे हांथ में स्त्री आभूषण है. माना जाता है की भगवान गणेश का यह मंदिर लगभग आठ सौ वर्ष प्राचीन है, व भगवान गणेश का इस रूप में कोई दूसरा मंदिर नहीं है, इस मंदिर में ऐसी दो प्रतिमाओं की दसवीं सदी से पूजा की जा रही है. पौराणिक कथा – कहा जाता है, की एक बार अंधकासुर नामक दानव ने समस्त लोको में हाहाकार मचा रखा था, जिससे भयभीत सभी देवता भगवान शिव के पास इस समस्या को दूर करने की प्रार्थना करने गए, भगवान शिव ने देवताओं की प्रार्थना सुनकर अंधकासुर का वध कर दिया तथा अंधकासुर के रक्त को पीने के लिए उन्होंने दो सौ देवियों को प्रकट किया. जिसमे से भगवान गणेश का नारी रूप भी एक था. 13 वीं सदी में मंदाकिनी मंदिर का निर्माण कुशल शिल्पकारों द्वारा किया गया. जिससे इस मंदिर का सौंदर्य देखते ही बनता है, भगवान गणेश के इस मंदिर में भक्तों की भीड़ हमेशा लगी होती है, लेकिन बुधवार व गणेश चतुर्थी के दिन यहाँ का वातावरण अलौकिक होता है. किसी विष की भांति नीला हो जाता है यहाँ चढ़ाया गया दूध इंदौर में स्थापित है 'ऊँ' आकार के गणेशजी की प्रतिमा यही दो सुख व्यक्ति की सभी इच्छाओं को पूरा करते है हर काम की शुरुआत में यह पूजन दिलाता है सफलता