जम्मू: कोरोना के कारण देश के विभिन्न कार्यो में काफी बदलाव आया है. वही सरकार इस बार कश्मीरी केसर को मंडियों में उतारने के लिए किसानो को इलेक्ट्रॉनिक-मार्केटिंग व्यवस्था देने जा रही है. इसके लिए पूरी प्रक्रिया हो चुकी है. किसानों का पूरा रिकॉर्ड ऑनलाइन किया जा रहा है. नवंबर महीने से किसान मंडियों से डायरेक्ट कांटेक्ट कर केसर बेच सकेंगे, और रेट भी ऑनलाइन ले सकेंगे. इसका मुनाफा किसानो को ये होगा कि वह बिचौलियों के जगह स्वयं ही डायरेक्ट मंडियों में फसल बेच सकेंगे. इससे उन्हें कमीशन नहीं देना होगा, तथा उनकी आय में वृद्धि होगी. साथ ही गवर्मेंट की ओर से केसर मिशन के अनुसार केसर के उत्थान के लिए जीआई टैगिंग प्रारम्भ की गई है. इसमें सभी किसानों को केसर की पैदावार में वृद्धि के अतिरिक्त अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई गई हैं. इसके साथ-साथ बिचौलियों को मध्य से हटाया गया है. वही कश्मीरी केसर की इस बार पैकिंग भी डिजिटल तकनीक से होगी. इसमें कश्मीरी केसर की किस्म एवं जीआई टैगिंग का जिक्र होगा. इसका अर्थ है कि केसर शत प्रतिशत अच्छी किस्म वाला है, ख़राब नहीं. इसके लिए आकृति तैयार की जा रही है. डिजाइन एक महीने के भीतर निर्धारित हो जाएगी. वही 226 गांवों के 40 हजार से अधिक किसान इस कारोबार से जुड़े हैं. वर्ष 2014 में बाढ़ आने एवं अन्य प्राकृतिक आपदाओं की वजह से आधे से अधिक किसान केसर की खेती को छोड़ चुके हैं. अब केसर मिशन के मुताबिक, किसानों को मार्केट उपलब्ध कराने सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं. इस बार किसान अच्छी रकम कमा सकेंगे. इस बार केसर के दामों में एक लाख नहीं, बल्कि तीन लाख प्रति किलो विक्रय के आसार है. इसी के साथ किसानो को इस बार अच्छा मुनाफा प्राप्त होगा. श्री गणेश को क्यों लगाया गया हाथी का सिर ? बीते 24 में घंटो में कोरोना के 200 से अधिक मरीज आए सामने यूपी: सिर पर गोली मारकर किसान की निर्मम हत्या