नई दिल्ली: यूं तो अक्सर कहा जाता है कि हर सफल व्यक्ति के पीछे एक औरत का हाथ होता है, वही यह बात सफल महिलाओ पर भी लागू होती है, अक्सर हमने देखा की जब भी भारतीय बैडमिंटन खिलाडी साइना नेहवाल अपना इंटरव्यू देती है तो वह यह ज़रूर कहती है कि मैं अपने माता-पिता अपने कोच और अपने देश के लिए खेलती हूं. कोर्ट से बाहर निकलते ही ये तीन लोग उनके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण लोग है. लेकिन साइना की इन उपलब्धियो का असल श्रेय उनकी मां ऊषा रानी को जाता है. जिन्होंने उन्हें बैडमिंटन खेलने के लिए प्रेरित किया. साइना ने अपने एक इंटरव्यू में बताया कि उनकी मां एक राज्य स्तरीय बैडमिंटन खिलड़ी थी और जब साइना का जन्म होना था तब उनकी मां ने उनका ‘स्टेफी’ रखने के बारे में सोचा था, उस समय ‘स्टेफी’ टेनिस की दुनिया में एक जाना माना नाम था. साइना जब आठ साल की तब तक उन्हें लोग इसी नाम से बुलाया करते थे. फिर बाद में उनके पिता ने उनका नाम बदलकर साइना रख दिया. लेकिन उनकी मां आज भी उन्हें ‘स्टेफी’ही बुलाती है. उनकी मां उन्हें शुरुआत से ही एक बड़ा खिलाडी बनाना चाहती थी. साइना से बताया कि उनके जीवन के कई बड़े फैसले आज भी उनकी मां ही लेती है साइना बताया कि जब वह बचपन में अपने स्कूल से लौट कर घर आती थी और फिर जब वो बैडमिंटन की प्रैक्टिस के लिए जाया करती थी तो उस समय उनकी मां भी उनके साथ जाया करती थी. साइना ने बताया कि जब भी वह मैच हार जाया करती थी तब उनकी मां उनसे बहुत नाराज़ हो जाया करती थी. जिसे वो काफी डर जाती थी. मां को सिर्फ उनका जीतना पसंद था. लेकिन हेमशा विजय पाना सम्भव नहीं. वही साइना ने बताया कि वह अक्सर अपनी मां को समझाया करती थी ये दिमाग से निकाल दो की जीत और हार एक सिक्के के दो पहलू होते हैं, ऐसा कभी नहीं होता, इन दोनों में से कोई एक ही होता है या तो जीत या हार. उन दिनों साइना की मां का यह जुनून आज उन्हें इस मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है. ICC CT 2017 : फाइनल में भारत के साथ मुकाबला होने पर पाक कप्तान ने दिया बड़ा बयान भारत को मिला फॉर्मूला-वन ड्राइवर आईपीएल के इन चार खिलाड़ियों पर भारत की अगली नज़र