कांग्रेस के वो 3 चुनावी वादे, जिन्हे मुस्लिम लीग की छाप बता रही भाजपा, दिखाया 88 साल पुराना घोषणापत्र

नई दिल्ली: कांग्रेस ने शुक्रवार (5 अप्रैल) को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र जारी कर दिया था।  5 ‘न्याय’ और 25 ‘गारंटी’ वाले इस घोषणा पत्र को कांग्रेस ने न्याय पत्र का नाम दिया गया है। मगर इस घोषणापत्र के जारी होने के साथ ही सियासी बवाल भी मच गया। भाजपा लगातार इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस को निशाना बना रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी एक चुनावी रैली में कहा कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में वही सोच झलकती है, जो स्वतंत्रता संग्राम के वक़्त मुस्लिम लीग की थी। अब भाजपा ने 88 साल पुराने मुस्लिम लीग के घोषणापत्र को धुंध निकाला है और उसकी कांग्रेस के मैनिफेस्टो से तुलना कर दी है। बता दें कि, मुस्लिम लीग ने ये घोषणापत्र आज़ादी से पहले 1936 में जारी किया था, इसके साथ भाजपा ने कांग्रेस के 2024 के घोषणापत्र के तीन वादों को आमने सामने रखा है।   

 

भाजपा के मुताबिक, '1936 में मुस्लिम लीग ने अपने घोषणापत्र में कहा था कि वह मुसलमानों के लिए शरिया व्यक्तिगत कानूनों (पर्सनल लॉज) की रक्षा करेगी। 2024 में कांग्रेस ने भी यही वादा किया है कि वह सुनिश्चित करेगी कि अल्पसंख्यकों के व्यक्तिगत कानून हों। बता दें कि, देश में बाकी अल्पसंख्यक जैसे, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी, यहूदी और अन्य के निजी कानून नहीं हैं, ये सब भारतीय कानून के हिसाब से चलते हैं, केवल मुस्लिमों का ही पर्सनल लॉ बोर्ड है। ये बोर्ड 1972 में इंदिरा गांधी सरकार के दौरान बनाया गया था। 

दूसरा वादा, जो 1936 में मुस्लिम लीग ने किया था कि वो ये था कि, मुस्लिम लीग बहुसंख्यकवाद के खिलाफ लड़ेगी। अब भारत में बहुसंख्यक कौन हैं, ये बात सब जानते हैं। वहीं, 2024 में अपने घोषणापत्र में कांग्रेस ने भी कहा है कि भारत में बहुसंख्यकवाद के लिए कोई जगह नहीं है।  हालाँकि, गौर करने वाली बात ये भी है कि, कांग्रेस के प्रमुख नेता राहुल गांधी अक्सर अपनी रैलियों में जातिगत जनगणना करवाने कि बात कर रहे हैं और कह रहे हैं कि जिसकी जितनी अधिक आबादी (जाति के आधार पर) होगी, उसे उतना हक़ दिया जाएगा। लेकिन कांग्रेस अपने घोषणापत्र में बहुसंख्यकद के खिलाफ वादे कर रही है, जो समझ से परे है। शायद पार्टी ये कहना चाहती है कि वो धर्म के आधार पर बहुसंख्यकवाद नहीं मानेगी, बल्कि जाति के हिसाब से मानेगी। 

 

तीसरा वादा जो 1936 में मुस्लिम लीग ने किया था, वो था कि हम मुस्लिमों के लिए विशेष स्कॉलरशिप और नौकरियों के लिए प्रबंध करेंगे। अब इस चुनाव में कांग्रेस ने भी वादा किया है कि हम सुनिश्चित करेंगे कि मुस्लिम छात्रों को विदेश में पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप मिले।' इन चीज़ों को लेकर भाजपा ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है और कह रही है कि देश पर सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली पार्टी के घोषणापत्र पर मुस्लिम लीग की छाप है। 

बता दें कि, कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में अल्पसंख्यकों के लिए वादा किया है कि यदि उनकी पार्टी सरकार बनाती है, तो वह संविधान के अनुच्छेद 15, 16, 25, 26, 28, 29 और 30 के तहत धार्मिक अल्पसंख्यकों को दिए गए अधिकारों को यथावत रखेगी। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में वादा किया है कि वह विदेश में पढ़ाई करने के लिए मौलाना आजाद छात्रवृत्ति को फिर से शुरू करेगी, साथ ही छात्रवृत्ति की राशि बढ़ाएगी। इसके साथ ही कांग्रेस ने कहा है कि, 'वह सुनिश्चित करेगी कि हर नागरिक की तरह अल्पसंख्यकों को भी पोशाक, खान-पान, भाषा और व्यक्तिगत कानूनों की आज़ादी हो।' इसके अलावा भी कांग्रेस ने 370 वापस लागू करने, CAA रद्द करने, जम्मू कश्मीर से सेना कम करने जैसे कई वादे किए हैं, जिनपर विवाद है।

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