EVM पर सवाल उठाने वाले आज उसी के निकले नंबरों का मना रहे जश्न, कल हारने पर फिर देंगे गाली

नई दिल्ली: लोकसभा चुनावों के परिणाम आने के साथ गौर करने वाली बात यह भी है कि इस चुनाव में जहाँ भाजपा की सीटें पहले के मुकाबले घट गई हैं तो वहीं दूसरी तरफ लोकसभा में मुस्लिम सांसदों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। वही जो विपक्ष हर बार EVM पर सवाल उठाता है आज कोई EVM को गाली नहीं दे रहा। अचानक से EVM हैक होने की चर्चा ही बंद हो गई है। अब चर्चा है जनता के नाराज़ होने की, नैरेटिव है बीजेपी के हार की और आरोप अब EVM की जगह DM पर शिफ्ट हो गया है। बता दें कि आदर्श अचार संहिता लागू लागू होने के पश्चात् सामान्यतः DM ही जिला निर्वाचन पदाधिकारी होते हैं तथा मतदान-मतगणना की प्रक्रिया उनकी ही निगरानी में होती है।

वही अब राहुल गाँधी के सलाहकार जयराम रमेश कह रहे हैं कि अफसरों को फोन कॉल जा रहा है ‘ऊपर से’ कि वो आखिरी परिणामों में हेरफेर करें, मतगणना की प्रक्रिया में देरी की जा रही है, चुनाव आयोग की वेबसाइट पर रिजल्ट्स अपडेट नहीं किए जा रहे हैं तथा मतगणना में धाँधली हो रही है। हालाँकि, इन सबमें कहीं EVM का नाम नहीं लिया जा रहा। वजह–वजह ये कि कॉन्ग्रेस पार्टी को पिछली बार की तुलना में 47 सीटें अधिक मिल गई हैं। बीजेपी की 64 सीटें कम हो गई हैं। यही वजह है कि EVM पर निशाना नहीं साधा जा रहा है। विपक्षी दलों का पूरा ध्यान अब अफसरों को धमकाने पर है, मशीन पर हैं। याद कीजिए, एक वक़्त था जब विधानसभा में लाइव दिखाया गया था कि EVM हैक हो सकता है। AAP विधायक सौरभ भारद्वाज एक कोई EVM जैसी नजर आने वाली मशीन लेकर आए थे, साथ ही दावा किया था कि एक निश्चित कोड डाल कर इसे हैक किया जा सकता है। उनका कहना था कि मदरबोर्ड में गड़बड़ी की जा सकती है, इसे रिसेट किया जा सकता है जिससे टेस्ट के वक़्त कुछ और परिणाम दिखें और असली पोलिंग के दौरान कुछ और।

हालाँकि, चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया था कि ये संभव नहीं है। संस्था ने बताया था कि कैसे जो नए M3 EVM आ रहे हैं उनमें टैम्पर-डिटेक्शन है, यानी कोई मशीन को खोलने का प्रयास भर करता है तो इसके पश्चात् वो काम करना बंद कर देगा। चुनाव आयोग समझाता रहा कि कैसे प्रत्येक वर्ष EVM को चेक किया जाता है, नियमित अंतराल पर अफसर उसका निरीक्षण करते हैं, कोई अनाधिकारिक व्यक्ति उसे उपयोग नहीं कर सकता तथा उसमें डबल लॉक सिस्टम है – लेकिन कोई मानने को तैयार नहीं था। वहीं अब ये सारी चर्चाएँ गायब हैं। याद कीजिए, कैसे ये लोग सर्वोच्च न्यायालय भी पहुँचे थे कि सभी EVM को VVPAT (वोट देने के बाद निकलने वाली पर्ची) से लैस किया जाए एवं शत-प्रतिशत वेरिफिकेशन किया जाए, हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने ये माँग रद्द करते हुए स्पष्ट कहा कि इससे देश बैलेट पेपर वाले युग में वापस चला जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय का कहना था कि EVM सरल है, सुरक्षित है और इस्तेमाल करने में आसान है। इसी वर्ष अप्रैल में सर्वोच्च न्यायालय ने याद दिलाया था कि कैसे बैलेट पेपर के युग में बूथ लूटने की घटनाएँ होती थीं।

2014 के बाद कई प्रदेशों में कॉन्ग्रेस को जीत मिली। मध्य प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे प्रदेशों में कांग्रेस ने राज किया। क्या इन प्रदेशों में जब कॉन्ग्रेस जीती तब EVM हैक नहीं था? जैसे ही लोकसभा चुनाव आते हैं, इनका रोना आरम्भ हो जाता है। बीजेपी भले ही पूर्ण बहुमत से 33 सीटें पीछे रह गई, मगर किसी बीजेपी के नेता या कार्यकर्ता को EVM को दोष देते हुए नहीं देखा गया। तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक जैसे राज्यों में तो विपक्ष का ही शासन है, वहाँ बीजेपी को उतनी सीटें भी नहीं मिलीं, फिर भी कोई EVM को दोष नहीं दे रहा। आखिर क्या वजह है कि 3 जून, 2024 तक भारत में तानाशाही थी तथा EVM हैक हो सकता था, लेकिन इसके अगले ही दिन यही आरोप लगाने वाले लोग इसी EVM से निकले परिणाम का जश्न मना रहे हैं? अचानक से लोकतंत्र वापस आ गया है, चुनाव आयोग ठीक से काम कर रहा है तथा EVM में कोई गड़बड़ी नहीं है। कल तक यही लोग हिंसा की धमकी दे रहे थे। बलिया से समाजवादी पार्टी उम्मीदवार सनातन पांडेय कह रहे थे कि DM की लाश बाहर आएगी, तो पूर्णिया से निर्दलीय प्रत्याशी पप्पू यादव अपने कार्यकर्ताओं को कफ़न बाँध कर आने की सलाह दे रहे थे।

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