जो नक्सलियों से नहीं डरे, वो जवान मच्छरों से मरे

देश की अवाम की रक्षा मे जुटे सेना और पुलिस के जवान अपनी जान पर खेल कर हमारी रक्षा करते है. हर मुश्किल से सिर्फ इसलिए लड़ रहे है ताकि हम अपने घरो मे सुकून से रह सके. मगर जवानों की बदहाली के किस्से देश मे अक्सर सुने जा रहे है. खाना पानी और अन्य मुलभुत सुविधाओं के अभाव मे जी रहे जवानों ने कई बार शिकायत और बगावत तक की है. इस सब के बावजूद आगे खड़े हो कर ये हमें महफूज रखते है.

एक रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में माओवादियों के गढ़ दक्षिण बस्तर में नक्सलियों से खिलाफ खड़े जवान मच्छरों से परेशान हैं. कहा तो ये भी जा रहा है कि दुश्मन से ज्यादा खतरा जवानो को मच्छरो से है. आंकड़े इस का सबूत है. 15 जनवरी को डीआरजी के एएसआई भीष्म की मौत मलेरिया से हुई थी. दो दर्जन से अधिक सीआरपीएफ़, एसटीएफ, डीआरजी एवं जिला पुलिस बल के जवान मलेरिया से पीड़ित हैं. आकड़ो की माने तो 2012 मे 36 , 2013 मे 22 , 2014 मे 95 , 2015 मे 9 , 2016 मे 10, 2017 मे 8 और अब तक 2018 मे 3 जवानों की मौत मलेरिया डेंगू या फिर वायरल फीवर से हुई है.

इस नक्सली इलाके मे 500 से अधिक जवानो को जंगलो में सर्चिंग के दरमियान उचित सुविधाएं भी नहीं दी गई है. सर्चिंग के दौरान जवानों को गंदे नालों का दूषित पानी पीना पड़ा ,क्योकि साफ पानी का कोई इंतज़ाम नहीं था .कैम्प में कोई डॉक्टरी सुविधा मुहैया नहीं करवाई जाती है. 5 दिनों तक जंगलों से सर्चिंग कर लौटने के बाद कई जवान मलेरिया के शिकार हो गए हैं. बस्तर के दूरस्थ अंचलों में जिला अस्पताल में इलाज के दौरान लाइन में लगकर इलाज करवाने को मजबूर जवान बेहद तकलीफो का सामना कर रहे है. 

 

 

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