क्रिकेट के दीवाने देश में राष्ट्रीय खेल हॉकी हमेशा से पिछड़ता रहा है. खेल के प्रति जागरूकता लाने के लिए इस खेल से जुड़े लोगो ने इसे फिर से अपनी खोई गरिमा वापस दिलाने के लिए कई प्रयास किये है. सालो से किये जा रहे हॉकी को बेहतर मुकाम तक पहुंचाने के प्रयास वर्ष 2018 अपने परिणामो के साथ सामने आने वाले है. भारतीय हॉकी के लिए 2018 इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी साल भारत को अपनी ओलंपिक टीम को खोजना, तैयार करना और निर्णायक स्वरूप देना है. फिलहाल भारत की वर्ल्ड रैंकिंग छठे स्थान की है. एशिया में भारत नंबर एक पर है. विश्व स्तर पर भारतीय हॉकी के लिए अर्जेंटीना, स्पेन, बेल्जियम, इंग्लैंड ,जर्मनी, हालैंड, आस्ट्रेलिया, अभी भी मजबूत चुनौती बन कर डटे हुए हैं. उनसे वर्ल्ड कप में भिड़ंत होगी. क्योंकि एशियाड और कामनवेल्थ खेल 2018 की बड़ी चुनौती होंगे. साल के अंत मेंमें वर्ल्ड कप का आयोजन किया जाना है. अर्थात तीन बड़े आयोजनों में भारतीय हॉकी को अग्नि परीक्षा से गुज़रना होगा. पाकिस्तान, कोरिया, जापान मलेशिया,और चीन से निपटना भारतीय टीम के लिए मुश्किल नहीं है फिर भी देखने में आया है कि कई मौको पर मलेशिया और कोरिया जैसे देश भी भारत के लिए मुश्किलें पैदा कर देते है. पाकिस्तान से तो हमेशा से कड़ा मुकाबला होता रहा है. एशियाई खेलों मे जीत के लिए ज़्यादा पसीना शायद ही बहाना पड़े. लेकिन कामनवेल्थ खेलों में खिताब जीतना आसान नहीं होगा. आस्ट्रेलिया भारतीय हॉकी के लिए हमेशा से परेशानी रहा है और इंग्लैंड से पार पाना भी मुश्किल खेल है. अर्थात कामनवेल्थ खेलों का हॉकी खिताब जीतना वर्ल्ड कप की सही तैयारी माना जाएगा. टैलेंट सर्च खेलकूद प्रतियोगिता में हॉकी के मुक़ाबले संपन्न खिलाड़ियों को आर्थिक सहायता दी जाएगी- राठौड़ भारतीय महिला हॉकी टीम ले रही न्यूरोट्रैकर का सहारा