भोपाल: मध्य प्रदेश में बाघों का आँकड़ा बढ़ा रहा है तथा आंकड़े की पुष्टि होना शेष है। ऐसे में नए क्षेत्रों में उनके रहवास, भोजन आदि की व्यवस्था की जाएगी। इस पर काम आरम्भ कर दिया गया है। वन्यप्राणी मुख्यालय के अफसर इसका खाका खींच रहे हैं। इसमें यह तय किया जाएगा कि अगली बाघ गणना (2026) से पहले बाघों को नए क्षेत्रों में बसाने के क्या प्रबंध करने हैं। इसमें देश ही नहीं, विदेश के वन्यप्राणी विशेषज्ञों की भी सहायता ली जाएगी। गौरतलब है कि देश के पश्चिमी क्षेत्र (वेस्टर्न घाट लैंडस्कैप) में इस बार की गणना (वर्ष 2022) में बाघों की बढ़ोतरी दर वर्ष 2018 की तुलना में कम मिली है। वहां 157 बाघ कम गिने गए हैं। इसी क्षेत्र में कर्नाटक आता है। पिछली गणना में कर्नाटक में मध्य प्रदेश की तुलना में सिर्फ 2 बाघ ही कम थे। इससे मध्य प्रदेश के टाइगर स्टेट बने रहने की आशा बढ़ गई है। बाघों के बढ़ते आंकड़े को देखते हुए नए रहवास तैयार किया जाना आवश्यक हो गया है। इसी रणनीति पर काम किया जा रहा है। तत्कालीन कमल नाथ सरकार में राज्य में 11 संरक्षित क्षेत्रों के गठन का प्रस्ताव तैयार किया गया था, शिवराज सरकार उस पर भी विचार कर रही है। 27 से होनी है अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला वन्यप्राणी प्रबंधन को लेकर 27 से 29 अप्रैल तक कान्हा टाइगर रिजर्व में अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की जा रही है। इसमें देश के ख्यात वन्यप्राणी विशेषज्ञों के अतिरिक्त विदेश से भी एक्सपर्ट्स बुलाए जा रहे हैं। ये एक्सपर्ट्स 3 दिन पार्क में रहकर तय करेंगे कि बाघ प्रबंधन कैसे किया जाए। इसमें किन बातों का ध्यान रखा जाए। जिससे बाघों के आंकड़े बढ़ने पर मानव-बाघ द्वंद्व की स्थिति न बने। इस गैंगस्टर ने ली भाजपा नेता के क़त्ल की जिम्मेदारी, खुद बताई वजह राजस्थान की 19 वर्षीय नंदिनी गुप्ता बनीं मिस इंडिया, बॉलीवुड की इस एक्ट्रेस है प्रेरित अतीक अहमद की हत्या से भड़कीं मायावती, कहा- एनकाउंटर प्रदेश बन गया है यूपी