सर्दियों में दिन छोटे होते हैं और इस दौरान हमें दिन भर में धूप की रोशनी भी कम मिलती है, जिसके कारण उनमें सीजनल डिप्रेशन (सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर) या 'विंटर ब्लू' की स्थिति पैदा हो जाती है। जिन लोगों के परिवार में एसएडी या डिप्रेशन से पीड़ित कोई व्यक्ति हो, उनमें इसकी संभावना अधिक होती है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में एसएडी के मामले ज्यादा पाए जाते हैं। इसके अलावा बुजुर्गो के बजाए युवाओं में इसकी संभावना अधिक होती है। सर्दियों में धूप की रोशनी कम होना सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर का कारण बन सकता है। धूप कम मिलने से बॉडी की बायोलॉजिकल क्लॉक प्रभावित होती है और महिलाएं डिप्रेशन के लक्षण महसूस करने लगती हैं। इसमें ये बात जानना जरुरी है की सिरेटोनिन एक न्यूरोट्रांसमीटर है, बॉडी में इसका लेवल कम होने का असर आपके मूड पर पड़ता है और आप एसएडी का शिकार हो सकती है। विटामिन डी बॉडी में सिरेटोनिन के प्रोडक्‍शन में मुख्य भूमिका निभाता है, विटामिन डी की कमी से बॉडी में सिरेटोनिन का लेवल गिरता है। इससे आप दिन में कम एनर्जी और सुस्ती महसूस करते है। धूप हाइपोथेलेमस को उत्तेजित करती है, हाइपोथेलेमस दिमाग का वह हिस्सा है जो नींद, मूड और भूख पर कंट्रोल रखता है। इसलिए आज हम आपके साथ शेयर करने जा रहे है सर्दियों में डिप्रेशन से बचने के उपाय के बारे में तो आइये जानते है लाईट थेरेपी: 1980 के दशक से ही लाईट थेरेपी को एसएडी के लिए अच्छा इलाज माना जाता है। धूप की कमी के कारण होने वाली इस समस्या को दूर करने के लिए मरीज को कृत्रिम रोशनी दी जाती है। सुबह के समय लाईट बॉक्स के सामने बैठने से मरीज को लक्षणों में आराम मिलता है। साइकोथेरेपी: सीबीटी या कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी साइकोथेरेपी का एक प्रकार है जो एसएडी के इलाज में बेहद फायदेमंद है। पारम्परिक सीबीटी का इस्तेमाल एसएडी के लिए किया जाता है। इसमें व्यक्ति के नकारात्मक सोच या विचारों को पहचाना जाता है और बिहेवियर एक्टिवेशन नामक तकनीक से उसमें सकारात्मक सोच को प्रोत्साहित किया जाता है। विटामिन डी: आमतौर पर सर्दियों के महीनों में प्राकृतिक रोशनी की कमी सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर का कारण बन सकती है। धूप शरीर में विटामिन डी बनाने के लिए भी जरूरी है। प्राकृतिक रोशनी से शरीर में सेरेटोनिन का लेवल बढ़ता है। यह मूड को नियमित करने वाला एक केमिकल है। एंटीडिप्रेसेन्ट: डिप्रेशन और कभी कभी एसएडी के गंभीर मामलों में इलाज के लिए एंटीडिप्रेसेन्ट दवाएं दी जाती हैं। सर्दियों में अगर लक्षण शुरू होने से पहले ये दवाएं शुरू कर दी जाएं तो परिणाम बेहतर हो सकते हैं। इन्हें बसंत का मौसम शुरू होने तक जारी रखना चाहिए। सर्दी के मौसम में बढ़ जाती है हड्डी सम्बन्धी रोगो की समस्या, जाने कैसे करे बचाव बेवजह उंगलिया चटकाना अगर आदत बन गयी है तो ये खबर आपके लिए ही है , जरूर पढ़े सोने की पोजीशन से भी पड़ता है स्वस्थ पर असर, जाने कौन सी पोजीशन है बेस्ट