भोपाल। हिंदूस्तान का दिल मध्यप्रदेश अपनी विविधता के लिए जाना जाता है। यहां पर कहीं सतपुड़ा के घने जंगल हैं तो सांची में बौद्ध स्तूप खड़ा है। भीमबेटका के शानदार और आश्चर्य में डालने वाले भित्ती चित्र हैं तो दूसरी ओर अमरकंटक से निकलकर प्रदेश के विभिन्न भागों को हरियाली और खुशहाल जीवन देने वाली मां नर्मदा के किनारे बने घाट हों या फिर उज्जैन नगरी का विविधताओं भरा सिंहस्थ का आयोजन हो। श्री महाकालेश्वर की भस्मारती हो या ओंकारेश्वर में श्रद्धालुओं द्वारा श्रद्धा से किए जाने वाले दर्शन का सुख हो सभी के लिए मध्यप्रदेश याद किया जाता है। इस प्रदेश में कहीं भी जाऐं हर ओर हरियाली छाई रहती है हालांकि प्रदेश में मलावा और निमाड़ जैसे अन्य प्रदेशों में बड़ी विविधता देखने को मिलती है। इस प्रदेश को लेकर कहा जाता है कि यहां पर पग - पग पर व्यक्ति को रोटी मिल जाती है और डगर - डगर पर नीर अर्थात पानी उपलबध हो जाता है यहां पर प्राकृतिक संसधनों की कमी नहीं है यहां का निवासी बेहद संतुष्ट और खुशहाल है बड़े पैमाने पर आदिवासी यहां के आदिवासी क्षेत्रों में अपनी संस्कृति को जीवित रखे हुए हैं। हिंदूस्तान का यह दिल अपनी सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, एतिहासिक विरासत के लिए जाना जाता है। यहां पर निमाड़, मालवा, बुंदेलखंड, बघेल खंड, चंबल की संस्कृतियों का संगम देखने को मिलता है। मध्यप्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं और राज्यपाल ओपी कोहली को नियुक्त किया गया है। दरअसल कोहली ने राज्यपाल राम नरेश यादव के कार्यकाल के समापन के बाद सितंबर 2016 में पदभार ग्रहण किया। उन्हें प्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त चार्ज दिया गया है। मप्र राज्य की राजधानी भोपाल है। राज्य में हिंदी बोली जाती है। यहां का राजकीय पक्षी दूधराज है तो राजकीय पशु बारहसिंगा है राजकीय पुप्प के तौर पर लिली को पहचाना जाता है। राज्य का राजकीय वृक्ष बरगद है राज्य का राजकीय फल आम है। यहां 230 सदस्यीय विधानसभा है। प्रदेश के प्रथम राज्यपाल के तौर पर डाॅ. पट्टाभी सीतारमय्या ने अपना कार्यभार संभाला उनका कार्यकाल 1 नवंबर 1956 से 13 जून 1957 तक था। प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रविशंकर शुक्ल थे। राज्य का पुर्नगठन सैयद फजल अली की अध्यक्षता वाले राज्य पुर्नगठन आयोग की सिफारिश पर वर्ष 2000 में हुआ था। 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण मध्यप्रदेश से अलग कर किया गया था।