चैत्र नवरात्रि का 22 मार्च से शुंभारंभ हो गया है। आज नवरात्रि का दूसरा दिन है। नवरात्री का दूसरा दिन "द्वितीया" के नाम से जाना जाता है। यह दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। माता ब्रह्मचारिणी को दो शब्दों से बनाया गया है - "ब्रह्म" जो ज्ञान को और "चारिणी" जो चरित्र को दर्शाता है। इस पूजा के दौरान माता को खीर और हल्वा भोग लगाया जाता है और उनके लिए लाल फूल भी चढ़ाए जाते हैं। माता ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा के दौरान निम्नलिखित विधि का पालन किया जाना चाहिए:- माता ब्रह्मचारिणी देवी का पूजन करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:- * पूजा के लिए स्थान तैयार करें: पूजा स्थल को साफ-सुथरा करें और मंडप के लिए एक स्थान चुनें। आसन और पूजन सामग्री को भी तैयार करें। * देवी को ध्यान में लाएं: पूजा शुरू करने से पहले मन में देवी को ध्यान में लाएं। * कलश स्थापना करें: पूजा का शुभारंभ करने से पहले कलश स्थापित करें। कलश में गंगा जल, अखंड दिया, सुगंध, फूल आदि रखें। * देवी की मूर्ति का स्थापना करें: अब देवी की मूर्ति का स्थापना करें। देवी को धूप, दीप, अदरक, तुलसी, फूल आदि से सजाएं। * मंत्रों का जाप करें: देवी को सजाने के बाद, मंत्रों का जाप करें। ब्रह्मचारिणी मंत्र को ॐ ब्रह्मचारिण्यै नमः मंत्र के रूप में जाप किया जाता है। * प्रसाद बांटें: पूजा के बाद प्रसाद तैयार करें और देवी को अर्पित करें। इस आरती से करें ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा:- मां ब्रह्मचारिणी की आरती: जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता। जय चतुरानन प्रिय सुख दाता। ब्रह्मा जी के मन भाती हो। ज्ञान सभी को सिखलाती हो। ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा। जिसको जपे सकल संसारा। जय गायत्री वेद की माता। जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता। कमी कोई रहने न पाए। कोई भी दुख सहने न पाए। उसकी विरति रहे ठिकाने। जो तेरी महिमा को जाने। रुद्राक्ष की माला ले कर। जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर। आलस छोड़ करे गुणगाना। मां तुम उसको सुख पहुंचाना। ब्रह्माचारिणी तेरो नाम। पूर्ण करो सब मेरे काम। भक्त तेरे चरणों का पुजारी। रखना लाज मेरी महतारी। इस बार साढ़े 13 घंटे का होगा पहला रोजा, इन बातों का रखे ध्यान आज नवरात्री का पहला दिन, माता शैलपुत्री के पूजन के दौरान रखें इन बातों का ध्यान यहाँ जानिए कैसे हुई माँ शैलपुत्री की उत्पत्ति?