हर साल बीस जून को विश्व शरणार्थी दिवस (World Refugee Day) मनाया जाता है. दरअसल यह दिवस उन लोगों के साहस, शक्ति और संकल्प के प्रति सम्मान जताने के लिए माना जाता है जो हिंसा, संघर्ष, युद्ध और प्रताड़ना के चलते अपना घर छोड़ने को मजबूर हो जाते हैं या यूं कहें जो लोग अपना देश छोड़कर बाहर भागने को मजबूर हो जाते हैं. इन्ही शरणार्थियों की परिस्थितियों पर लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए यह दिवस को मनाया जाता है ताकि इस समस्या का हल निकाला जा सके. संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) ने इस दिवस की घोषणा साल 2000 में की थी. तब से हर वर्ष 20 जून को विश्व शरणार्थी दिवस मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मुख्य वजह लोगों में जागरुकता फैलानी है कि कोई भी इंसान अमान्य नहीं होता फिर चाहे वह किसी भी देश का हो. संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूएनएचसीआर शरणार्थी लोगों की सहायता करती है. इसके तहत यूएनएचसीआर शरणार्थियों के लिए कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है और उनकी समस्याओं का लंबे वक्त से स्थायी समाधान तलाशता है, जिससे उन्हें या तो स्वेच्छा से अपने घरों में लौटने या अन्य देशों में बसने में मदद मिल सके. इसका उद्देश्य शरणार्थियों और अन्य जबरन विस्थापितों की मदद करना है जो शांति और गरिमा के साथ अपने जीवन का पुनर्निर्माण करते हैं. आपको बता दें की संयुक्‍त राष्‍ट्र की मानवाधिकार संस्‍था (UNHRC) के अनुसार वर्ष 2019 में पूरी दुनिया में इन शरणार्थियों की संख्‍या 79 करोड़ 50 लाख तक जा पहुंची है. अकेले वर्ष 2019 में एक करोड़ लोगों का अपना घर छोड़कर दूसरी जगहों पर बसना बेहद चिंता का विषय बन गया है, जिस पर सभी को ध्‍यान देने की जरूरत है. गमछा-रुमाल पहने लोगों को इस अस्पताल में नहीं दिया जा रहा प्रवेश, मास्क अनिवार्य मध्य प्रदेश में तेजी से बढ़ता जा रहा है मौत का आंकड़ा, प्रशासन की बढ़ी चिंता बेटे ने ले ली माँ की जान, वजह सुनकर सकपका जाएंगे आप