राजेश खन्ना की तरह बनना चाहते थे टॉम आल्टर...

बॉलीवुड फिल्मो में अंग्रेज़ो का किरदार निभाने वाले एक्टर 'टॉम आल्टर' जो कभी अपनी पढाई बीच में ही छोड़कर नौकरी की तलाश में निकल पड़े थे. टॉम कई शहरो में नौकरी की तलाश के लिए भटकते रहे थे. कुछ जगह उन्होंने छोटी-मोटी नौकरी की भी थी लेकिन वहां भी टॉम का मन नहीं लगा फिर टॉम हरियाणा के जगधरी चले आये. यहाँ टॉम ने सेंट थॉमस स्कूल में शिक्षक के तौर पर नौकरी की. जगधरी में रहकर टॉम ने हिंदी फिल्मे देखना शुरू की. 19 वर्ष की उम्र में टॉम ने पहली हिंदी फिल्म सुपरस्टार राजेश खन्ना की 'आराधना' देखी थी. यह फिल्म टॉम को इतनी जायदा प्रभावित कर गयी कि एक ही हफ्ते में उन्होंने 3 बार वही फिल्म देख डाली. उनके जहन में राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर ही चलते रहे. फिर तो टॉम बस राजेश खन्ना ही बनना चाहते थे.

इसलिए टॉम ने फिल्मो में आने का फैसला लिया और वर्ष 1972 में उन्होंने पुणे के प्रतिष्ठित फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टीट्यूट में एडमीशन लिया. एफटीआईआई में रहते हुए टॉम ने बैचमेट 'बेंजामिन गिलानी' और जूनियर 'नसीरुद्दीन शाह' के साथ एक कंपनी "मोटली" स्थापित की और रंगमंच में कदम रखा. राजेश खन्ना बनने के सपने को लेकर टॉम ने 'चमेली मेम साहेब' में निभाए गए एक अंग्रेज के किरदार को अपने अंदाज में राजेश खन्ना बन निभाया था.

टॉम ने अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत साल 1976 में फिल्म 'चरस' से की थी. जिसके बाद उन्होंने शतरंज के खिलाड़ी, देश-परदेश, क्रांति, गांधी, राम तेरी गंगा मैली, कर्मा, सलीम लंगड़े पे मत रो, परिंदा, आशिकी, जुनून, परिंदा, वीर-जारा, मंगल पांडे जैसी फिल्मे की. पद्मश्री अवार्ड से भी नवाज़े जा चुके टॉम की आखरी फिल्म साल 2017 में आई 'सरगोशियां' थी.

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