अगर दिमाग में बिठा ली चाणक्य नीति की यह बातें तो सदैव होगा आपका भला

दुनियभर में अगर किसी नीति को अपनाने के बारे में कहा जाता है तो वह है चाणक्य नीति. जी दरअसल इसमें बताई गए बातों का पालन किया जाए तो सभी बड़ी-बड़ी परेशानियों से बचा जा सकता हैं. ऐसे में चाणक्य ने एक नीति में बताया है कि किस व्यक्ति को किन बातों से दूर रहना चाहिए.. आज हम आपको उन्ही के बारे में बताने जा रहे हैं.

* चाणक्य कहते हैं- अनभ्यासे विषं शास्त्रमजीर्णे भोजनं विषम्. दरिद्रस्य विषं गोष्ठी वृद्धस्य तरुणी विषम्..

जी दरअसल इस श्लोक का अर्थ है, ''किसी वृद्ध पुरुष के लिए सुंदर स्त्री विष के समान होती है. वृद्ध व्यक्ति को जवान और सुंदर स्त्री से विवाह करने से बचना चाहिए. अच्छे वैवाहिक जीवन के लिए पति-पत्नी को एक-दूसरे से मानसिक और शारीरिक स्तर पर संतुष्ट होना जरूरी है.''

* अभ्यास के बिना ज्ञान बेकार है - चाणक्य नीति में बताया गया है कि किसी भी व्यक्ति के लिए अभ्यास के बिना शास्त्रों का ज्ञान बेकार होता है. 

* पेट खराब हो तो खाना है विष की तरह - चाणक्य नीति के अनुसार जिस व्यक्ति का पेट खराब है, उसके लिए अच्छा भोजन भी विष की तरह ही होता है और पेट खराब होने पर खाना स्वास्थ्य को और ज्यादा नुकसान पहुंचा देता है.

* गरीब के लिए गोष्ठी होती है विष समान - चाणक्य नीति में लिखा है किसी गरीब व्यक्ति के लिए कोई गोष्ठी यानी समारोह विष की तरह होता है और गरीब के पास अच्छे कपड़े नहीं होते हैं और वह किसी कार्यक्रम में जाता है तो उसे अपमानित होना पड़ सकता है. इस कारण से किसी भी स्वाभिमानी गरीब व्यक्ति के लिए समारोह में जाना विष समान होता है.

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