आप तो जानते ही हैं इस समय वैश्विक महामारी बन चुके कोरोना वायरस से लड़ाई के लिए लोग अपने अपने घरों में बैठे हैं. ऐसे में बीते दिनों ही दिल्ली के निजामुद्दीन में तब्लीग-ए-जमात के 2000 से ज्यादा लोगों के एक जलसे में शामिल होने की खबरें सामने आईं जिसे सुनने के बाद प्रसाशन के होश उड़ गए. मिली जानकारी के मुताबिक इस जलसे में शामिल होने वाले लोगों में मलेशिया, इंडोनेशिया, सऊदी अरब और किर्गिस्तान से आए लोग शामिल हैं. वहीं हाल ही में अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष ताहिर महमूद ने दारूल उलूम देवबंद से कहा है कि, ''जब तक कोरोना का संकट खत्म नहीं होता है तब तक सभी मस्जिदों को बंद करने का फतवा जारी करें.'' वहीं ताहिर के इस बयान के कुछ ही वक्त बाद दिग्गज स्क्रिप्ट और लिरिक्स राइटर जावेद अख्तर का इस पर बयान आ गया है. जी हाँ, हाल ही में जावेद ने ट्वीट कर कहा- ''ताहिर महमूद साहेब जो कि एक स्कॉलर और अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष हैं, उन्होंने कहा है कि दारूल उलूम देवबंद कोरोना काल खत्म होने तक के लिए मस्जिदों को बंद करने का फतवा जारी करे. मैं पूरी तरह से उनकी इस मांग का समर्थन करता हूं. अगर काबा और मदीना की मस्जिद बंद की जा सकती है तो भारत की मस्जिदों को क्यों बंद नहीं किया जा सकता?'' उनके ट्वीट के बाद अब पब्लिक के रिएक्शन एक के बाद एक सामने आ रहे हैं. कई लोग हैं जो जावेद के इस ट्वीट की सराहना कर रहे हैं लेकिन वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग अलग दृष्टिकोण से इसे देख रहे हैं. इसपर एक यूजर ने लिखा- 'हमें मस्जिदों को बंद करने के लिए फतवे की जरूरत क्यों है? क्या भारत सरकार द्वारा किया गया अनुरोध और आदेश इसके लिए काफी नहीं था.' वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा- 'क्या इस पढ़े लिखे समाज के लिए सरकार द्वारा दिए गए निर्देश काफी नहीं हैं. या कुछ लोग ऐसे हैं जो सिर्फ धार्मिक नेताओं और शरिया की ही बातें सुनते हैं.' इसी तरह कई लोग कमेंट्स करने में लगे हुए हैं. अब संजू बाबा ने की लोगों से घरों में रहने की अपील पांचवी बार भी कोरोना पॉजिटिव आई कनिका कपूर की रिपोर्ट, खतरे में है जान! बचपन में यतीमखाने की सीढ़ी पर चींटियों ने काटा, युवा होकर बॉलीवुड पर किया राज