रतलाम संसदीय सीट पर कांग्रेस व भाजपा के बीच कड़ा संघर्ष !

दिलीप सिंह की रिपोर्ट

मध्यप्रदेश के रतलाम संसदीय सुरक्षित आदिवासी वर्ग सीट पर इस बार हो रहे लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा। कांग्रेस ने जहां अपने अनुभवी, कद्दावर आदिवासी नेता पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, पूर्व केंद्रीय मंत्री, प्रदेश में राज्य मंत्री, संसदीय सचिव रहे 5 बार के सांसद कांतिलाल भूरिया को मैदान में उतारा है तो दूसरी और भाजपा ने एकदम सरल आदिवासी शिक्षित कुशल ग्रहणी महिला श्रीमति अनिता नागर सिंह चौहान को मैदान में उतारा है।

कांतिलाल भूरिया के किस्तम कनेक्षन की बात करें तो इनका भाग्य राजनीति में हमेशा चमका है, जब भी ये राजनीति से दूर होते है तो इन्हे ऐसा मौका मिल जाता है कि ये दोबारा वापस सत्ता में आ जाते है, 2014 में ये भाजपा के दिलीप सिंह भूरिया से चुनाव हारे लेकिन उनके निधन से हुए उपचुनाव में ये दौबारा सांसद का चुनाव जीत गये, फिर विधानसभा चुनाव में कमलनाथ ने इन्हे टिकिट दे दिया और ये झाबुआ से फिर से विधायक चुन लिये गये। इस बार कांग्रेस ने इनके बेटे विक्रांत भूरिया को झाबुआ से टिकिट दे दिया तो ऐसा लगा की कांतिलाल भूरिया का राजनैतिक वर्चस्व अब खत्म हुआ लेकिन ऐन समय पर लोकसभा के लिये फिर से कांग्रेस ने इन पर भरोसा जताया और ये मैदान में आ गये। जिसके चलते रतलाम संसदीय सीट पर मुकाबला रोचक हो गया है।

दूसरी और भाजपा के पास चेहरे की कमी रही और इस कारण से उसने अनिता नागर सिंह पर दांव खेला। भाजपा को यह उम्मीद है कि देश भर में राम मंदिर और मोदी की गारंटी की लहर है ऐसे में यहां से भाजपा जीत जायेगी, लेकिन यह सोच अति महत्वाकांक्षी भी हो सकती है, क्योंकि इस चुनाव को हल्के में नहीं लिया जा सकता। हालीया हुए विधानसभा चुनावों का गणीत देखे तो यहां कांग्रेस भाजपा से वोट के अंतर से बढ़त बनाये हुए है। रतलाम संसदीय सीट पर आठ विधानसभा सीटे आती है इनमें रतलाम जिले की रतलाम, रतलाम ग्रामीण और सैलाना विधानसभा की सीटे है जबकि झाबुआ जिले की तीन विधानसभा सीटे झाबुआ, थांदला और पेटलावद तथा आलिराजपुर जिले की दो विधानसभा सीटे आलिराजपुर और जोबट शामिल है।

विधानसभा 2023 के चुनाव परिणामों पर नजर डाले तो आठ विधानसभा सीटों में से चार पर भाजपा, तीन पर कांग्रेस और एक पर निर्दलिय ने जीत दर्ज की है। भाजपा के वर्चस्व वाली सीटे है रतलाम, रतलाम ग्रामीण और पेटलावद तथा आलिराजपुर जबकि कांग्रेस ने थांदला, झाबुआ और जोबट सीटे जीती है जबकि सैलाना सीट निर्दलिय के खाते में गई है।

वोटों का हिसाब किताब देखे तो कांग्रेस इस संसदीय सीट पर भाजपा से बढ़त बनाये हुए है। झाबुआ विधानसभा सीट पर कांग्रेस के विक्रांत भूरिया ने 15693 वोटों की लिड ली थी, इसी प्रकार से थांदला सीट पर कांग्रेस के विरसिंग भूरिया ने 1340 सीटों से लिड ली, वहीं जोबट सीट से कांग्रेस की सेना पटेल ने 38784 वोटों की लिड ली थी। जबकि आलिराजपुर सीट से भाजपा के नागर सिंह चौहान 3723 मतो से और पेटलावद से सुश्री निर्मला भूरिया 5647 मतो से, रतलाम से भाजपा के चेतन्य कश्यप 60708 मतों के अंतर से तो मथुरालाल डाबर रतलाम ग्रामीण से 34324 मतो के अंतर से विजय हुए थे। जबकि सैलाना सीट से निर्दलिय कालेश्वर डोडीयार 71219 मतो से विजय हुए थे। इनकी लिड 4618 मतो की थी।

कांग्रेस और भाजपा के मतों का अंतर झाबुआ और आलिराजपुर क्षेत्र में कांग्रेस का अधिक है तो रतलाम क्षेत्र में भाजपा को बढ़त है। झाबुआ आलिराजपुर क्षेत्र में कांग्रेस को पांच विधानसभा सीटों पर 46447 मतों की लिड है जबकि सैलाना सीट पर निर्दलिय उम्मीदवार को 4618 मतो की लिड है इन दोनो को मिला दिया जाये तो यहां से कांग्रेस को 51065 मतों की लिड है। जबकि भाजपा को पेटलावद और आलिराजपुर क्षेत्र से कांग्रेस के मुकाबले महज 9370 मतो की ही लिड है। इस हिसाब से भाजपा को झाबुआ और आलिराजपुर जिलों में बहुत अधिक मेहनत की आवश्यकता होगी। क्योंकि आलिराजपुर क्षेत्र में वोट प्रतिशत भी बहुत कम रहता है, भाजपा का सोंडवा क्षेत्र में लगातार जनाधार भी घट रहा है। 

ऐसे में अनिता नागर सिंह चौहान को अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिये सबसे पहले अपने घर में ही अपनी स्थिति मजबूत करना पडेगी और आलिराजपुर क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत बढ़ाना होगा वहीं उस मत को भाजपा के पक्ष में भी करना होगा। क्योंकि जोबट विधानसभा सीट पर भाजपा को बढ़त मिलती दिखलाई नहीं पड़ रही है। झाबुआ विधानसभा सीट पर भी कांतिलाल भूरिया की पकड़ मजबूत है तो थांदला क्षेत्र में भी कांग्रेस मजबूत स्थिति में है। ऐसे में पेटलावद सीट से सुश्री निर्मला भूरिया का जादू कितना भाजपा को बढ़त दिलायेगा यह समय ही बता सकेगा! सैलाना सीट पर भी कांग्रेस मजबूत स्थिति में है। ऐसे में भाजपा को जीत की उम्मीद रतलाम और रतलाम ग्रामीण क्षेत्र से ही अधिक है। कांग्रेस इन क्षेत्रों में कमजोर है। 

चेतन्य कश्यप के उपर सबसे ज्यादा दारोमदार है कि वो अपनी लिड को बरकरार रखते हुए अगर मतदान प्रतिशत अधिक करा पाये तो भाजपा की स्थिति मजबूत हो सकती है क्योंकि रतलाम भाजपा का मजबूत गढ़ है रतलाम और रतलाम ग्रामीण को मिलाकर मतों का अंतर देखे तो फिर भाजपा मजबूत स्थिति में दिखलाई पडती है दोनों सीटों को मिलाकर विधानसभा चुनावों में भाजपा के मतो का अंतर 104406 मतो का है कांग्रेस की सारी लिड को कम करे तो भी भाजपा 53341 मतो से बढ़त में दिखाई देती है। वहीं लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा की जीत का अंतर देखे तो यहां से गुमानसिंह डामोर ने 90646 मतों के अंतर से अपनी जीत दर्ज की थी।

कुल मिलाकर इस सीट का लबोलुआब यह निकलता है कि यहां पर कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगाा। जो दल जितना जोर लगायेगा और मतदान अपने पक्ष में कराने में सफल होगा उसे उतना अधिक फायदा मिलेगा! तेज गर्मी के चलते 13 मई को मतदान के समय 40 डिग्री से उपर रहने का अनुमान है ऐसे में मतदान का प्रतिशत कितना प्रभावी होगा यह भी देखने वाली बात होगी। ग्रामीण मतदाता अक्सर सुबह अपने मतों का उपयोग कर लेगा है लेकिन शहरी मतदाता गर्मी में निकलेगा या नहीं यह संशय बना रहता है। ऐसे में इस संसदीय सीट पर मतदान का प्रतिशत बहुत कुछ भाग्य को तय करने वाला होता है। नागरसिंह चौहान, सुश्री निर्मला भूरिया और चेतन्य कश्यप को प्रदेश सरकार ने मंत्री बनाया है वहीं इस संसदीय क्षेत्र का क्लस्टर प्रभारी प्रदेश के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवडा को बनाया है। चार मंत्री प्रदेश सरकार के यहां लगे हुए है। ऐसे में यहां पर भाजपा को इस संसदीय सीट पर अपना कब्जा बनाये रखने के लिये मेहनत करना है तो कांग्रेस यहां से एक बार फिर से अपना वर्चस्व स्थापित करने की कोशिश में लगी दिखाई देती है।

केरल के ‘त्रिशूर पूरम’ उत्सव पर वामपंथी सरकार ने लगाए कई प्रतिबंध, पहली बार रात में आतिशबाज़ी पर रोक

शादी का खाना खाना मेहमानों को पड़ा भारी, 24 लोग अस्पताल में हुए भर्ती

'भाजपा संविधान बदल देगी..', विपक्ष के आरोप पर क्या बोले अजमेर दरगाह के दीवान सैयद जैनुल आबेदीन ?

Related News