नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच व्यापारिक सम्बन्ध काफी पुराने हैं, लेकिन बीच-बीच में चीन के नापाक इरादों के कारण ये प्रभावित होते रहते हैं. कभी चीन की घुसपैठ को लेकर तो कभी भारतीय इलाकों पर हक़ जताकर, चीन हमेशा विवाद पैदा करता रहता है. किन्तु इसके बाद भी चीन, भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर बन गया है. लेकिन इस कारोबार में भारत को कम ही फायदा हुआ है, जबकि चीन फल-फूल रहा है. भारत और चीन के आपसी कारोबार के लिए देशों के बीच तीन बॉर्डर ट्रेडिंग प्वाइंट बेहद अहम हैं जिनमे नाथू ला पास (सिक्किम), शिप्की ला पास (हिमाचल प्रदेश) और लिपुलेख पास (उत्तराखंड) शामिल हैं. लिपुलेख पास के रास्ते कारोबार के लिए दोनों देशों ने भारत में गुंजी बाजार और तिब्बत में पूलान मार्केट को चुना है, इस रास्ते व्यापर 1 जून से 30 सितंबर तक होता है. वहीं शिप्की ला पास के रास्ते कारोबार करने के लिए दोनों देशों ने भारत के हिमाचल प्रदेश में नाम्ग्या मार्केट और तिब्बत के जादा काउंटी के जियुबा मार्केट को चुना है. इसके अलावा सिक्किम के नाथू ला पास के जरिए कारोबार का अनुबंध 23 जून 2003 को हुआ था, लेकिन इस रास्ते से कारोबार की शुरुआत 2006 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में शुरू हुई थी. समझौते के तहत इस कारोबार के लिए भारत के सिक्किम में छान्गू मार्केट और तिब्बत के रेन्किनगांग मार्केट को चुना गया. इस रास्ते दोनों देश 1 मई से 30 नवंबर तक कारोबार करता है. लेकिन इस कारोबार से भारत उतना नफा नहीं उठा पता है, जितना की चीन, भारतीय मार्किट पर नज़र डालें तो यहाँ हर वस्तु का चीनी संस्करण आसानी से मिल जाता है, इसके साथ ही भारत के कई ऐसे व्यापर भी हैं, जो चीनी दखल के कारण नष्ट होते जा रहे हैं. कब आएंगे 15 लाख हर भारतीय के खाते में ? गाँधीनगर में बनेगा फाइव स्टार होटल युक्त रेलवे स्टेशन क्लीनिकल ट्रायल मामले में हुआ नया खुलासा