कोलकाता रेप-मर्डर के खिलाफ आवाज़ उठाने वालों का ट्रांसफर ! ममता सरकार ने किए 42 प्रोफेसर-डॉक्टर के तबादले

कोलकाता: बंगाल की राजधानी कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक ट्रेनी डॉक्टर की रेप और हत्या के विरोध में जारी प्रदर्शनों के बीच, पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में कार्यरत 42 प्रोफेसरों और डॉक्टरों के तबादले कर दिए हैं। इस कदम को लेकर प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने संदेह जताया है और इसे एक साजिश के रूप में देखा है।

तबादले किए गए 42 डॉक्टरों में आरजी कर मेडिकल कॉलेज के दो प्रोफेसर भी शामिल हैं। हालांकि, पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य विभाग ने तबादलों का कारण स्पष्ट नहीं किया है। आरजी कर अस्पताल में कार्यरत डॉ. संगीता पॉल और डॉ. सुप्रिया दास का दूसरी जगह ट्रांसफर कर दिया गया है। प्रदर्शनकारी डॉक्टर, डॉ. किंजल नंदा ने कहा कि जो वरिष्ठ प्रोफेसर और डॉक्टर उनकी विरोध की आवाज का समर्थन कर रहे थे, उन्हें तबादले का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि उन्हें यह नहीं समझ आ रहा है कि ये तबादले क्यों किए गए, लेकिन वे इसे न्याय की मांग के खिलाफ एक कदम के रूप में देख रहे हैं।

इसके जवाब में, आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने काम बंद करने का फैसला लिया है। वे अब इस मामले में अदालत में अपना पक्ष रखने की तैयारी कर रहे हैं और इसके लिए उन्होंने अपनी कानूनी टीम भी बनाई है। रेजिडेंट डॉक्टरों की मांग है कि सभी दोषियों को ठोस सबूतों के साथ गिरफ्तार किया जाए और इसकी पुष्टि के लिए सीबीआई से आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी की जाए। इसके अलावा, वे उच्च अधिकारियों से लिखित माफी और इस्तीफे की मांग कर रहे हैं, जिनमें पूर्व प्राचार्य, एमएसवीपी, छात्र मामलों के डीन, चेस्ट मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष, और उस दिन ड्यूटी पर मौजूद सहायक अधीक्षक शामिल हैं।

डॉक्टरों ने यह भी मांग की है कि इन अधिकारियों को उनकी सेवा की शेष अवधि के लिए किसी भी संस्थान में कोई प्रशासनिक या आधिकारिक पद धारण करने से रोका जाए। इसके साथ ही उन्होंने स्वास्थ्य विभाग से स्पष्टीकरण मांगा है कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज की पूर्व प्राचार्य का इस्तीफा क्यों स्वीकार नहीं किया गया है। बता दें कि, एक तरफ तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद अपने ही राज्य में हुए रेप-मर्डर के खिलाफ मार्च निकालकर CBI से जल्द से जल्द कार्रवाई करने की मांग कर रही हैं, अक्सर ये काम विपक्ष करता है, वहीं दूसरी तरफ इंसाफ की आवाज़ उठाने वालों के ट्रांसफर किए जा रहे हैं। बंगाल में लगातार बदलता घटनाक्रम कई सवालों को जन्म दे रहा है कि क्या कोई आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रहा है ?

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