बवासीर को आमतौर पर पाइल्स (Piles) और हेमोरोइड्स (Hemorrhoids) के नाम से जाना जाता है। यह निचली एनल (anal) या रेक्टल (rectal) पार्ट में मौजूद सूजी और फूली हुई नसें होती हैं जिनकी वजह से बेचैनी, दर्द, खुजली होती है और साथ ही कभी-कभी टायलेट करते समय खून भी आता है। यह बीमारी आजकल कॉमन बन चुकी है। हाल ही में किये गए रिसर्च के मुताबिक आज 40-50% लोग किसी न किसी रूप में बवासीर से पीड़ित हैं। बवासीर पुराने कब्ज़ (Chronic Constipation), वजन उठाना, प्रेगनेंसी और मोटापे के कारण हो सकता है। बहुत से लोग बवासीर के बारे में बात करने से कतराते और शर्माते हैं। इस वजह से उन्हें अच्छा महसूस नहीं होता। जब बवासीर ठीक हो जाता है, तब कुछ बेहतर महसूस होता है। बवासीर दो प्रकार के होते हैं जिन्हे आंतरिक बवासीर (Internal piles) और बाहरी बवासीर (External Piles) के नाम से जाना जाता है। आंतरिक बवासीर दर्दनाक होता है और आमतौर पर एनस के अंदर पाया जाता है। इसमें रेक्टम से खून आता है और स्टूल पास करते समय अंदर से ज़ोर लगाने पर तनाव महसूस होता है क्योंकि यह एनस से होकर गुजरता है। बाहरी बवासीर एनस के पिछले छोर की आसपास की स्किन के नीचे होता है। इसमें स्टूल पास करते समय प्रेशर लगाने पर इससे खून निकल सकता है। बवासीर में कई तरह की स्टेज होती हैं जो कि निम्न हैं: बवासीर के चार स्टेज होते हैं पहला स्टेज (First stage of piles): बवासीर के पहले स्टेज में मरीज के एनस के आसपास की नसों में सूजन हो जाती है। इनपर जब दवाब पड़ता है तो खून निकलने लगता है। आमतौर पर यह दबाव स्टूल पास करते समय जोर लगाने और लंबे समय तक एक स्थिति में बैठने की वजह से होता है। बवासीर की इस स्टेज में अगर मरीज अपनी जीवन शैली बदल लें तो कुछ ही समय में वह अपनी बवासीर (Piles) से छुटकारा पा सकते हैं। दूसरी स्टेज (Second stage of piles): बवासीर की दूसरे स्टेज में मस्से का सूजन और आकार बढ़ जाता है। मस्से पहले स्टेज की तुलना में ज़्यादा बड़े होते हैं। मरीज इस अवस्था में जब स्टूल पास करता है तो मस्से एनस के रास्ते बाहर चले आते हैं और फिर अपने आप ही वापस अंदर भी चले जाते हैं। दूसरे स्टेज की शुरुआत में यह मस्से एनस के ज़्यादा बाहर नहीं निकलते हैं लेकिन लंबे समय तक इसे नज़रअंदाज करने पर यह धीरे धीरे एनस से बाहर तक आने लगते हैं जो बाद में बड़ी समस्या बन जाती है। तीसरी स्टेज (Third stage of piles): आंतरिक बवासीर (Internal Piles) की तीसरी अवस्था में मरीज ज़्यादा दुखी और परेशान हो जाता है क्योंकि मस्से की सूजन और आकार पहले और दूसरे स्टेज की तुलना में बहुत बढ़ जाते हैं। इस अवस्था में जब मरीज स्टूल पास करता है तब मस्से उसके एनस से बाहर निकल जाते हैं जो अपने आप अंदर नहीं जाते हैं। इन्हें मरीज को अपने हाथों से पकड़कर एनस के अंदर करना पड़ता है। चौथी स्टेज (Fourth stage of piles): यह आंतरिक बवासीर की आखिरी स्टेज होती है। इसमें मरीज को ज़्यादा दर्द का सामना करना पड़ता है और साथ ही स्टूल पास करने में परेशानी भी होती है। स्टूल पास करते समय जब मरीज जोर लगाता है तो बवासीर के मस्सों से खून निकलते लगता है और यह एनस से बाहर आ जाते हैं जो बड़ी मुश्किल से वापस अंदर जाते हैं। बवासीर के इलाज के बहुत सारे तरीके हैं जिनकी मदद से इससे आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। शुरूआती स्टेज में डॉक्टर सिर्फ दवा और थेरेपी के ज़रिए बवासीर को ठीक कर देते हैं लेकिन अगर बवासीर तीसरे या चौथे स्टेज में पहुंच कर गंभीर रूप धारण कर लें तो फिर लेजर सर्जरी की ही ज़रूरत पड़ती है। आइए जानते हैं लेजर सर्जरी के बारे में; लेजर सर्जरी (Laser Surgery) प्रिस्टीन केयर (Pristyn Care) डॉक्टर बवासीर की स्टेज को समझने के लिए पूरी तरह से जांच करते हैं। बाहरी बवासीर को सिर्फ देखकर ही आसानी से समझा जा सकता है लेकिन आंतरिक बवासीर को समझने के लिए रेक्टल को एक्जामिन किया जाता है। इसके लिए डॉक्टर एक ग्लॉब्ड एंड लुब्रिकेटेड फिंगर (gloved and lubricated finger) मरीज के रेक्टम (Ractum) में डालते हैं। दवा और नॉर्मल ऑपरेशन के बाद भी कई बार बवासीर फिर से हो जाता है लेकिन लेजर सर्जरी बवासीर को हमेशा के लिए खत्म कर देती है। लेजर सर्जरी के बाद बवासीर के दोबारा होने के जीरो प्रतिशत चांसेस होते हैं इसलिए आज हर कोई लेजर सर्जरी ही करवाता है। ओपन सर्जरी के बाद मरीज को ठीक होने में कुछ दिनों से लेकर महीने तक भी लग सकते हैं और यह पूरी तरह से बीमारी की स्थिति और इलाज के तरीके पर निर्भर करता है। साथ ही बवासीर बार बार होने पर बहुत ही दर्दनाक हो जाता है जिससे डॉक्टर सर्जरी करने की सलाह दे सकता है। लेजर सर्जरी के बाद ठीक (Recover) होने में ज़्यादा से ज़्यादा दो से तीन दिन लगते हैं और वो भी जीरो कॉम्प्लिकेशन के साथ। लेजर सर्जरी मात्र 30 मिनट की ऑपरेशनल प्रक्रिया है जिसमें न तो कट लगते हैं और न ही टांके। सर्जरी के बाद आपको एक दिन के लिए हॉस्पिटल में रुकना पड़ता है और अगले ही दिन डिस्चार्ज कर दिया जाता है। साथ ही अगले 48 घंटे में आप अपना काम दोबारा शुरू कर सकते हैं और एक हफ्ते के बाद आप रूटीन लाइफ दोबारा कंटीन्यू कर सकते हैं। प्रिस्टीन केयर अपने मरीजों को सभी तरह की जांचो (Diagnoses) पर 30% का डिस्काउंट देती है। कॉन्फिडेंशियल कंसल्टेशन, हॉस्पिटल में एक बड़ा सा कमरा, हैसल-फ्री इंश्योरेंस अप्रूवल, नो अपफ्रंट पेमेंट और इलाज से जुड़े सभी पेपरवर्क मरीज के बजाय प्रिस्टीन टीम पूरा करती है, साथ ही साथ यहां सभी इंश्योरेंस कवर किए जाते हैं और सर्जरी के बाद फ्री फॉलो अप की सुविधा भी दी जाती है जिसके ज़रिए मरीज लगातार डॉक्टर के संपर्क में रहते हैं और इस बात की पुष्टि भी करते हैं कि लेजर सर्जरी के बाद मरीज पूरी तरह से ठीक है। अगर आपके पास इंश्योरेंस है तो बवासीर की सर्जरी (Piles Surgery) पर 100% तक क्लैम मिल सकता है। निष्कर्ष किसी भी बीमारी के होने से अच्छा है, आप पहले ही उससे बचने के उपाय करें। साथ ही बवासीर के बारे में पता चलते ही तुरंत इलाज करवाना चाहिए, क्योंकि इसकी स्टेज बढ़ जाने के बाद इलाज में मुश्किलें आती है। अगर आप या आपका परिचित बवासीर से परेशान हैं तो तुरंत इलाज के लिए प्रिस्टीन केयर से संपर्क करें। प्रिस्टीन केयर के बारे में प्रिस्टीन केयर एक हेल्थकेयर सर्विस प्रोवाइडर चेन है जिसके पास बेस्ट लेजर, लैपोरोस्कोपिक और सर्जरी की सुविधाएं उपलब्ध हैं। इनके पास पाइल्स, फिशर, फिस्टुला और दूसरी अन्य बीमारियों के लिए विशेषज्ञ सर्जन हैं। इनके पास प्रॉक्टोलॉजी में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस है। अपनी किसी भी चिकित्सा समस्याओं के लिए आप कभी भी प्रिस्टीन केयर से संपर्क कर सकते हैं https://www.pristyncare.com/ अधिक सफर करने वालो को ये खबर जरूर पढ़ लेना चाहिए , आएगी आपके काम अगर आपके बच्चे में भी दिखते है ये लक्षण तो हो जाइये सावधान , बच्चे में तनाव के होते है ये लक्षण अगर आप भी है पैरो में जलन की समस्या से परेशान , ना करे इसे नज़रअंदाज़, जाने