मजदूरों की सेवा करने के लिए आदिवासियों ने संभाला मैदान, मिटा रहे पेट की भूख

कोरोना संक्रमण को लेकर छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां भी बड़े शहरों से पलायन कर श्रमिकों का अपने गांवों को लौटना अनवरत जारी है. दो तरह की तस्वीरें देखने को मिल रही हैं. एक ओर तो जहां गांवों में इनके पहुंचने पर क्वारंटाइन केंद्रों में अव्यवस्था का आलम है, तो वहीं कुछ ग्रामीण प्रवासियों की मदद को आगे आ रहे हैं और इनसे हमदर्दी जता रहे हैं. साथ ही गांव में रहने वालों की सुरक्षा का पुख्ता प्रबंध भी कर रखा है. धनौली और करंगरा गांव के बैगा परिवार ऐसी ही मिसाल पेश कर रहे हैं.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि धनौली पंचायत के क्वारंटाइन केंद्र में बाहरी श्रमिकों को ठहराया गया है. इनमें महिला, पुरुष और बच्चे भी हैं. प्रवासियों को सुबह-शाम नाश्ता और भोजन कराने के अलावा क्वारंटाइन केंद्र को रोज सैनिटाइज करना इन बैगाओं के सेवाभाव और सूझबूझ को दर्शाता है. ग्राम पंचायत धनौली के अंतर्गत दो गांव आते हैं. धनौली और करंगरा. धनौली में बैगा जनजाति की आबादी 80 फीसद है. करंगरा में शत- प्रतिशत. बीते चार दिनों से इन गांवों का माहौल पूरी तरह से बदल गया है.

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अगर आपको नही पता तो बता दे कि बस्तियों से कुछ कदमों की दूरी पर बालिका छात्रावास है. जिला प्रशासन ने इसे बाहर से आए श्रमिकों के लिए क्वारंटाइन सेंटर बनाया है. इसमें प्रवासी श्रमिकों के अलावा बाहरी प्रांत के श्रमिकों को रखा गया है. बैगा परिवार पहले दिन से ही इनकी सहायता कर रहे हैं. श्रमिकों के आने से पहले छात्रावास को पूरी तरह सैनिटाइज कर दिया गया था. प्रवासियों के लिए सैनिटाइजर और मास्क की व्यवस्था भी पंचायत ने पहले से कर रखी थी.

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