नई दिल्ली : राजस्थान में होने वाले चुनावों को देखते हुए राजस्थान के आदिवासी बहुल जिलों को संविधान की पांचवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को मोदी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है . इससे राजस्थान के आदिवासियों को आवश्यक सुविधाएं मिलेंगी इससे उन्हें बहुत लाभ होगा. कैबिनेट ने 12 फरवरी 1981 के संवैधानिक आदेश को पुर्नजिवित कर यह आदेश जारी किया है. बता दें कि राजस्थान के बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ जिलों के साथ नौ तहसीलों, एक ब्लाक, 46 ग्राम पंचायतों (उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, पाली व सिरोही के 227 गांवों) को इसमें शामिल किया गया है . इसके अलावा लाभ लेने वालों में उक्त जिलों के पिछड़े वर्ग के लोगों को भी शामिल किया गया है. उल्लेखनीय है कि केंद्रीय कैबिनेट के इस फैसले के बाद इन इलाकों के लिए अतिरिक्त फंड की जरूरत नहीं होगी. ट्राइबल सब प्लान स्कीम के तहत यहां पर विकास कार्य नए सिरे से गति पकड़ेंगे. एक अधिकारी के अनुसार इसका उद्देश्य इन अधिसूचित इलाकों में रहने वाले लोगों का समुचित विकास हो सके. स्मरण रहे कि आदिवासी बहुल जिलों को संविधान की पांचवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग लम्बे समय से की जा रही थी. केंद्र के इस फैसले का लाभ वसुंधरा सरकार को जरूर मिलेगा. यह भी देखें आसाराम के जोधपुर कोर्ट के फैसले को आज देंगे चुनौती बस और पिकअप की दुर्घटना में मृतक संख्या पांच हुई