नई दिल्ली: देश के अमर सपूत और परमवीर चक्र विजेता अल्बर्ट एक्का का आज बलिदान दिवस है। आज ही के दिन यानी 3 दिसंबर सन 1971 में पाकिस्तान के साथ हुई जंग में अल्बर्ट वीरगति को प्राप्त हो गए थे। अविभाजित बिहार के गुमला जिले के जारी इलाके में जन्मे अल्बर्ट ने अपने जीवन के महज 28 बसंत ही देखे। एक्का ने तत्कालीन बिहार रेजिमेंट में ज्वाइन किया और फिर 14 गार्ड्स के गठन के बाद उस टुकड़ी में शिफ्ट हो गए। सेना में ट्रेनिंग के दौरान उनके अनुशासन को देखते हुए उसी दौरान उन्हें लांस नायक के पद पर तैनात कर दिया गया। सन 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच की हुई उस लड़ाई में उन्होंने अदम्य साहस का परिचय दिया। अपने बटालियन ब्रिगेड ऑफ़ गार्ड्स के साथ मौजूदा पूर्वी भारत के हिस्से में गंगासागर के इलाके में एक्का की टुकड़ी ने पाकिस्तानी बंकर पर हमला किया। दुश्मन से हुई भिडंत के दौरान गोलियां खाने के बावजूद वो युद्ध भूमि में डटे रहे और दुश्मनों की दो एमएमजी की आवाज को खामोश कर दिया। इस दौरान वो हैण्ड ग्रेनेड लेकर खुद दुश्मन के बंकर में घुस गए और वहां एमएमजी चल रहे सैनिक को मार डाला। इस पूरी लड़ाई में उनके शरीर में दुश्मनों की अनेकों गोलियां लगी, लेकिन झारखण्ड के इस वीर सपूत ने तब तक दम नहीं तोडा जब तक भारत का तिरंगा दुश्मनों की पोस्ट पर फहरा नहीं गया। वो 3 दिसम्बर, 1971 का दिन था जब अपनी मिट्टी से सैंकड़ों मील दूर एक्का ने अपना दम अपने देश की शान के लिए तोड़ा। उनकी पत्नी और बच्चे अभी जीवित हैं। पत्नी बलमदीना एक्का गुमला में रहती हैं। खुदीराम बोस की जयंती आज, हाथ में गीता लेकर फांसी चढ़ने वाला सबसे युवा क्रन्तिकारी MDH वाले 'दादा' की पुण्यतिथि आज, जानिए धर्मपाल गुलाटी से जुड़ी रोचक बातें खुशखबरी: कल से 14 रुपए प्रति लीटर सस्ता हो सकता है पेट्रोल-डीजल !