तीन तलाक़ अध्यादेश: कांग्रेस का आरोप, पीड़िता महिलाओं के मुआवजे के लिए क्या किया सरकार ने

नई दिल्ली: मोदी सरकार द्वारा तीन तलाक़ पर अध्यादेश लाने के बाद से कांग्रेस, भारतोय जनता पार्टी पर तीन तलाक को लेकर सियासत करने का आरोप लगा रही है. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस ने सरकार से तलाक देने के बाद प्रभावित महिलाओं और बच्चों को मुआवजे मुहैया नहीं कराने वाले लोगों की संपत्ति को संलग्न करने का प्रावधान जोड़ने के लिए अनुरोध किया था, जिसे सरकार ने अध्यादेश में नहीं जोड़ा है.

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उन्होंने कहा कि ट्रिपल तालाक "एक अवैध, असंवैधानिक और अमानवीय अभ्यास" है, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट  द्वारा इस अभ्यास को रद्द करने के बाद, यह एक कानून बन गया है. उन्होंने कहा कि, हमारे लिए, ट्रिपल तालाक हमेशा महिलाओं के अधिकारों से संबंधित एक मानवीय मुद्दा रहा है और हम उन्हें न्याय प्रदान करने के लिए कोशिशें करते रहे हैं. इसीलिए कांग्रेस के दो बड़े नेता और वकील सलमान खुर्शीद और मनीष तिवारी ने तीन तलाक़ के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में महिलाओं की पैरवी की थी, लेकिन भाजपा इसे महिलाओं के अधिकार से ज्यादा राजनितिक फायदे से जोड़कर देख रही है.

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सुरजेवाला ने कहा कि अब जबकि तीन तलाक़ अपराध घोषित हो गया है, तो महिलाओं को उनका अधिकार दिलाने के लिए काम करने की जरुरत है, जो भी महिलाऐं तीन तलाक़ से पीड़ित हैं और उन्हें मुआवज़ा नहीं दिया जा रहा है, उनके पतियों की संपत्ति को संलग्न करके उसका हिस्सा पीड़िताओं को दिलवाने के लिए सरकार को प्रयास करना चाहिए. उन्होंने कहा कि तलाक़ के बाद महिलाओं को मुआवजे की आवश्यकता होती है, कांग्रेस ने आपत्ति जताई थी कि अगर तलाक़ देने के बाद पति को जेल हो जाएगी तो महिला को भरण-पोषण कैसे मिलेगा ? 

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