नई दिल्ली: तीन तलाक़ के खिलाफ केंद्र सरकार द्वारा अध्यादेश लाने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट में इस अध्यादेश के खिलाफ याचिका दर्ज की गई है. केरल स्थित, समस्थ केरल जाम्याथ उल-उलामा, सुन्नी मुस्लिम विद्वानों और क्लियरिक्स के एक धार्मिक संगठन ने अध्यादेश के खिलाफ याचिका दायर की है. याचिका में मांग की गई है कि इस अध्यादेश को रद्द किया जाए. आईसीसी ने किया बड़ा खुलासा, एक साल में 5 अंतर्राष्ट्रीय कप्तानों से सटोरियों ने किया था संपर्क उल्लेखनीय है कि ट्रिपल तालक पर अध्यादेश या कार्यकारी आदेश 19 सितंबर को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा पारित किया गया था. इसके अनुसार अगर तीन तलाक़ बोलकर तलाक़ लिया जाता है तो आरोपी पति को जेल की सजा होगी. उल्लेखनीय है कि ट्रिपल तालाक, या मौखिक तलाक, अक्सर भारत में मुस्लिम समुदाय के एक वर्ग द्वारा अभ्यास में लाया जाता है ताकि वे तीन बार 'तालक' शब्द बोलकर अपनी पत्नियों को तलाक दे सकें. कई मुस्लिम और महिला संगठनों ने इस अभ्यास को कई वर्षों से अस्वीकार कर दिया है. 10वीं-12वीं पास के लिए 92 हजार रु हर महीने कमाने का मौका, आज ही यहां करें आवेदन महिलाओं ने इसे गैर इस्लामिक और महिला विरोधी बताते हुए मांग की थी कि इस पर कानून बनाया जाए. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट भी ट्रिपल तलाक़ को गैर क़ानूनी घोषित कर चुकी है. वहीं ट्रिपल तलाक़ के समर्थकों का कहना है कि यह इस्लाम के शरिया कानून के हिसाब से जायज है और इसे लागू रहने देना चाहिए. खबरें और भी:- वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट, 37 अरब डॉलर की व्यापारिक क्षमता है भारत पाक के बीच गिरते बाज़ार में आपको नुक्सान से बचा सकती है ये 3 टिप्स एशिया कप 2018: 2014 जैसे ही हैं हालात, क्या आज इतिहास बदल पाएगा अफ़ग़ानिस्तान ?