त्रिपुर भैरवी जयंती मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन किया जाता है, जो कि हिंदू पंचांग के मुताबिक, इस वर्ष 26 दिसंबर को मनाई जाएगी। इस दिन भक्त देवी भैरवी की पूजा-अर्चना करते हैं तथा उनकी कृपा और आशीर्वाद की कामना करते हैं। यह पर्व शक्ति की उपासना एवं देवी की महत्त को बताता है। इस दिन कई लोग मंदिरों में जाते हैं, पूजा करते हैं, मंत्रों का जाप करते हैं तथा दान भी करते हैं। आइये आपको बताते है पूजन विधि और महत्व… धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, देवी भैरवी भगवान भैरव की पत्नी है। इसके साथ ही वो पांचवीं महाविद्या के रुप में भी पूजी जाती हैं। इनकी पूजा- अर्चना से सभी शत्रुओं का नाश हो जाता है। इसलिए इस दिन उनकी भक्ति तथा श्रद्धा पूर्वक पूजा करने से श्रद्धालुओं की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। देवी भैरवी के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है, जिनमें चैतन्य भैरवी, सम्पदाप्रद भैरवी, कमलेश्वरी भैरवी, रुद्र भैरवी, भद्र भैरवी, कालेश्वरी भैरवी, कामेश्वरी भैरवी, शतकुटी भैरवी, नित्या भैरवी सिद्ध भैरवी एवं भुवनेश्वर भैरवी सम्मिलित है। ऐसा कहा जाता है कि माता जितनी कठोर हैं उतनी दयालु भी हैं। इसलिए जो लोग दिक्कतों से जूझ रहे हो, उन्हें अवश्य ही मां त्रिपुर भैरवी की पूजा करनी चाहिए ताकि उनके सारे कष्ट दूर हो जाएं। ऐसे करें त्रिपुर भैरवी की पूजा सबसे पहले सुबह उठकर इस दिन स्नान करें। नहाने के बाद धुले हुए साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूरे घर को और मंदिर स्थल को अच्छे से साफ करें। इसके बाद मां भैरवी की प्रतिमा स्थापित करें। पूजा की शुरुआत में कुमकुम का तिलक लगाएं। फिर लाल फूलों की माला चढ़ाएं। भोग के रूप में फल और मिठाई अर्पित करें। इसके बाद मां भैरवी के मित्रों का जाप करें। दीपक जलाएं या फिर कपूर की आरती करें। अंत में माता भैरवी का आशीर्वाद लें। साल की आखिरी एकादशी पर शुरू होंगे इन 6 राशियों के अच्छे दिन कब है वैकुंठ एकादशी? यहाँ जानिए शुभ महूर्त और पारण-समय गौहत्या और धर्मान्तरण रोकने के लिए छत्तीसगढ़ सीएम विष्णुदेव ने लोगों से की यह अपील