ढाका: बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और इस्कॉन से जुड़े संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को लेकर भारत में गहरी नाराज़गी देखी जा रही है। सोमवार को पश्चिम बंगाल में भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी के नेतृत्व में हिंदू संगठनों और आम जनता ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया। आंदोलनकारियों ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर पेट्रापोल के पास मालवाहक ट्रकों को रोक दिया, जिससे दोनों देशों के बीच कारोबार ठप हो गया। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि चिन्मय कृष्ण दास को बिना शर्त रिहा किया जाए। इसके लिए उन्होंने 24 घंटे तक मालवाहक वाहनों की आवाजाही रोक दी। इस रोक से बांग्लादेश में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बाधित हो गई। शुभेंदु अधिकारी ने चेतावनी दी कि अगर चिन्मय कृष्ण दास को जल्द रिहा नहीं किया गया तो वे पेट्रापोल सीमा पर पांच दिनों की आर्थिक नाकेबंदी करेंगे और अगले साल बड़े स्तर पर आंदोलन छेड़ेंगे। उन्होंने यह भी घोषणा की कि संत की तस्वीर वाले गुब्बारे छोड़कर रिहाई की मांग को प्रतीकात्मक रूप से उठाएंगे। इस आंदोलन में भाजपा नेता अर्जुन सिंह सहित अन्य प्रमुख संगठनों जैसे अखिल भारतीय संत समाज और राष्ट्रीय हिंदू जागरण मंच ने भाग लिया। सीमा पर भगवा झंडे और भारतीय झंडों के साथ बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी एकत्र हुए। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए और किसी भी संभावित घुसपैठ को रोकने के लिए अतिरिक्त बलों की तैनाती की। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमले और मंदिरों में तोड़फोड़ को रोकने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए। वहीं, अखिल भारतीय संत समाज के बंगाल चैप्टर के अध्यक्ष स्वामी परमात्मानंद ने स्पष्ट किया कि जब तक बांग्लादेश सरकार इन हमलों पर कार्रवाई नहीं करती और संत चिन्मय कृष्ण दास को रिहा नहीं करती, आंदोलन जारी रहेगा। सिक्किम में 70 वर्ष की उम्र में पिता बना शख्स, घर में जन्मी बेटी संभल पहुंचा सपा प्रतिनिधिमंडल, पत्थरबाजों से जेल में जाकर की मुलाकात, आरोपियों को बताया 'मासूम' अढ़ाई दिन का झोपड़ा.., कभी एक जैन मंदिर था, आज है मस्जिद..!