'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर आई टीएस सिंहदेव की प्रतिक्रिया, बोले- 'यह नया नहीं पुराना आइडिया'

रायपुर: छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने एक देश एक चुनाव के मुद्दे का समर्थन किया है। उन्होंने कहा, व्यक्तिगत स्तर मैं एक देश एक चुनाव का स्वागत करता हूं। यह नया नहीं, पुराना ही आइडिया है। देशभर में एक देश एक चुनाव की चर्चा मोदी सरकार द्वारा 18 से 22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने के पश्चात् आरम्भ हो गई। कहा जा रहा है कि सत्र में सरकार एक देश एक चुनाव पर बिल ला सकती है। उधर, मोदी सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर कमेटी का भी गठन किया है। हालांकि, इसमें कौन कौन सदस्य होगा, इसका नोटिफिकेशन थोड़ी देर जारी होगा। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा एवं राज्य विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने की वकालत मजबूती से करते आए हैं। अब इस पर विचार करने के लिए रामनाथ कोविंद को जिम्मेदारी सौंपने का फैसला सरकार की गंभीरता को प्रदर्शित करता है। नवंबर-दिसंबर में 5 प्रदेशों में विधानसभा चुनाव होने हैं तथा इसके पश्चात् अगले वर्ष मई-जून में लोकसभा चुनाव होंगे। वहीं वन नेशन, वन इलेक्शन कमेटी के बारे में प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना (उद्धव गुट) के अनिल देसाई ने कहा,'मुझे मीडिया के जरिए जानकारी मिल रही है। इस प्रकार की बातें फैलाना ठीक नहीं है। 5 प्रदेशों में चुनाव होने वाले हैं सरकार को ये देखना चाहिए कि देश के लोग क्या चाहते हैं, उनके मत को भी ध्यान में रखना चाहिए।'

वहीं वन नेशन, वन इलेक्शन कमेटी के बारे में प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना (उद्धव गुट) के अनिल देसाई ने कहा,'मुझे मीडिया के जरिए जानकारी मिल रही है। इस प्रकार की बातें फैलाना ठीक नहीं है। 5 प्रदेशों में चुनाव होने वाले हैं सरकार को ये देखना चाहिए कि देश के लोग क्या चाहते हैं, उनके मत को भी ध्यान में रखना चाहिए।' एक देश-एक चुनाव की वकालत स्वयं पीएम नरेंद्र मोदी कर चुके हैं। इस बिल के समर्थन के पीछे सबसे बड़ा तर्क यही दिया जा रहा है कि इससे चुनाव में खर्च होने वाले करोड़ों रुपये बचाए जा सकते हैं। पीएम नरेंद्र मोदी कई मौकों पर वन नेशन-वन इलेक्शन की वकालत कर चुके हैं। इसके पक्ष में कहा जाता है कि एक देश-एक चुनाव बिल लागू होने से देश में प्रत्येक वर्ष होने वाले चुनावों पर खर्च होने वाली भारी धनराशि बच जाएगी। बता दें कि 1951-1952 लोकसभा चुनाव में 11 करोड़ रुपये खर्च हुए थे जबकि 2019 लोकसभा चुनाव में 60 हजार करोड़ रुपये की भारी भरकम धनराशि खर्च हुई थी। प्रधानमंत्री मोदी कह चुके हैं कि इससे देश के संसाधन बचेंगे और विकास की गति धीमी नहीं पड़ेगी।

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