पटरी पर 70 किलो के दो सीमेंट ब्लॉक, अब अजमेर में ट्रेन पलटाने की साजिश

अजमेर: राजस्थान के अजमेर में अज्ञात हमलावरों ने 70 किलो वजनी दो सीमेंट ब्लॉक रेल ट्रैक पर रखकर मालगाड़ी को पटरी से उतारने की कोशिश की, लेकिन गनीमत रही कि ट्रेन ने टकराने के बाद भी बिना किसी नुकसान के अपनी यात्रा जारी रखी। रेलवे कर्मचारियों की शिकायत पर पुलिस ने रेलवे अधिनियम और सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।

यह घटना रविवार रात लगभग 10:30 बजे फुलेरा-अहमदाबाद खंड के पश्चिमी समर्पित माल ढुलाई गलियारे में सराधना और बांगड़ स्टेशनों के बीच घटी। शुरुआत में कर्मचारियों को ट्रैक पर एक सीमेंट ब्लॉक रखे होने की सूचना मिली थी, जिसे बाद में टूटा हुआ पाया गया। कुछ दूरी पर एक और ब्लॉक भी मिला। इसके बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। उसी दिन, एक और बड़ी दुर्घटना टल गई जब प्रयागराज से हरियाणा के भिवानी जा रही कालिंदी एक्सप्रेस कानपुर में रेल पटरी पर रखे एक एलपीजी सिलेंडर से टकरा गई। सिलेंडर से टकराने के बाद ट्रेन अचानक रुक गई, और लोको पायलट ने ट्रैक पर सिलेंडर के साथ पेट्रोल की बोतल और माचिस जैसे अन्य संदिग्ध सामान देखकर तुरंत ब्रेक लगाए। कानपुर पुलिस ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली है और अब तक छह लोगों को हिरासत में लिया है।

इस घटना की निंदा करते हुए भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश इतना सक्षम है कि वह षड्यंत्र रचने वालों को नष्ट कर सकता है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग और संगठन सत्ता के लालच में देश में दंगे और अराजकता फैलाना चाहते हैं, और इस तरह के कृत्यों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह दोनों घटनाएं अहमदाबाद जाने वाली साबरमती एक्सप्रेस पैसेंजर ट्रेन के पटरी से उतरने की घटना के एक महीने बाद हुई हैं। उस घटना में ट्रेन का इंजन कानपुर के गोविंदपुरी स्टेशन के पास ट्रैक पर रखी एक वस्तु से टकरा गया था। हालांकि, सभी यात्री सुरक्षित थे और किसी के हताहत होने की खबर नहीं थी।

हालांकि, यह ट्रेन दुर्घटना करवाने की साजिश वाली पहली घटना नहीं है। पिछले कुछ समय में कई बार ट्रेनों को पटरी से उतारने की कोशिशें की गई हैं। इसी तरह की एक घटना 17 अगस्त 2024 को कानपुर में हुई थी, जिसमें साबरमती एक्सप्रेस के 17 डिब्बे पटरी से उतर गए थे। इसके अलावा, राजस्थान और अलीगढ़ में भी रेलवे ट्रैक पर खतरनाक वस्तुएं रखी गई थीं। अलीगढ़ में भी पटरी पर मोटरसाइकिल के स्क्रेप रखे गए थे, इस मामले में अफ़सान नामक आरोपी गिरफ्तार किया गया था। वहीं, केरल में रेलवे की सिग्नल केबल चुराने में भी मुनव्वर और अब्बास को गिरफ्तार किया गया था, जिससे कई ट्रेनें प्रभावित हुईं थीं। बंगाल में भी किसी ने रेलवे सिग्नल में अख़बार फंसा दिया था। ये सिग्नल बेहद महत्वपूर्ण होते हैं, जिससे लोको पायलट को पता चलता है कि ट्रैक खाली है या नहीं ? वरना ट्रेनों की आमने-सामने की भिड़ंत हो सकती है।  

इन तमाम घटनाओं का संबंध कहीं न कहीं पाकिस्तान स्थित आतंकी फरहतुल्लाह गोरी से भी जुड़ रहा है, जो भारत में स्लीपर सेल्स के जरिए इंफ्रास्ट्रक्चर पर हमले की साजिश रच रहा है। गोरी ने भारतीय एजेंसियों को चकमा देकर अपने गुर्गों यानी कट्टरपंथियों से प्रेशर कुकर बम जैसी चीजों से धमाके करने और ट्रेन पलटाने के लिए कहा है, ताकि सरकार को उखाड़ा जा सके। इसके पीछे का मकसद देश में अव्यवस्था फैलाकर जनता को भड़काना है। यहां बड़ा सवाल उठता है कि क्या ये साजिशें किसी बड़े सरकार विरोधी अभियान का हिस्सा हैं, ताकि किसी भी तरह देश की स्थिति को अस्थिर किया जा सके? कई विपक्षी नेता भी पहले से देश में बांग्लादेश जैसी स्थिति बनने की धमकी दे रहे हैं, लेकिन इन साजिशों पर उनकी चुप्पी गंभीर सवाल खड़े करती है। ट्रेन बेपटरी होने पर राजनीति गरम हो जाती है, लेकिन जांच की मांग के बजाय, कुछ नेता इसे अपने सियासी एजेंडे का हिस्सा बना लेते हैं।

यह समय राजनीति से ऊपर उठकर देखने का है। यह खतरा सिर्फ सरकार या सत्ता के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए है, और इसमें विपक्ष के नेता भी इस साजिश के शिकार हो सकते हैं। कट्टरपंथियों और देश विरोधी तत्वों द्वारा रची जा रही इन साजिशों के खिलाफ सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होना चाहिए, ताकि इस खतरे का सामना पूरी दृढ़ता से किया जा सके।

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