दो कंपनीयों को मिली कोरोना की दवाई बनाने की अनुमति

भारत में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ते जा रहा हैं. विश्व के कई देशों में वायरस की वैक्सीन बनाने के लिए वैज्ञानिक दिन रात काम कर रहे हैं. इस बीच ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स के बाद इंडियन ड्रग रेगुलेटरी एजेंसी ने दवा कंपनी सिप्ला और हेटेरो को कोरोना वायरस के मरीजों पर के लिए एंटीवायरल ड्रग रेमेडिसविर के निर्माण और विपणन की अनुमति दे दी है.

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ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने कोरोनोवायरस के प्रकोप के मद्देनजर दवाओं की आपातकालीन आवश्यकता को देखते हुए घरेलू फर्म ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स को मामूली रूप से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए एंटीवायरल दवा फेविपिरविर के निर्माण और बाजार की अनुमति दी गई थी. हेटेरो और सिप्ला को शनिवार को मंजूरी दी गई है.

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इसके अलावा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने क्लिनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल फॉर सीओवीआईडी ​​-19 में बीमारी के मध्यम चरण वाले रोगियों पर रेमेडीसविर के उपयोग की सिफारिश की है, जो कि ऑक्सीजन पर हैं. इस दवा को केवल आपातकालीन चिकित्सा के रूप में शामिल किया गया है. कोरोना वायरस के क्लिनिकल ​​प्रबंधन प्रोटोकॉल में कहा गया है कि गुर्दा संबंधी बीमारी, गर्भवती महिलाओं और 12 साल से कम उम्र के लोगों के लिए यह अनुशंसित नहीं है.इंजेक्शन के रूप में प्रशासित दवा को दिन में 200 मिलीग्राम की खुराक पर दी जानी चाहिए और उसके बाद पांच दिनों के लिए प्रतिदिन 100 मिलीग्राम का उपयोग किया जाना चाहिए. सिप्ला और हेटेरो लैब्स ने पहले ही यूएस फार्मा दिग्गज गिलियड साइंसेज के साथ समझौता किया है, जो ड्रग रेमेडिसविर का पेटेंट धारक है.

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