चेन्नई: तमिलनाडु में भाजपा IT सेल के प्रमुख अमित मालवीय के खिलाफ आधिकारिक तौर पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। उन पर उदयनिधि स्टालिन के एक बयान को तोड़-मरोड़कर पेश करने और शत्रुता की भावनाओं को प्रचारित करने का आरोप है। बता दें कि, उदयनिधि स्टालिन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे हैं और अपने पिता के ही कैबिनेट में मंत्री पद पर भी आसीन हैं। सत्तारूढ़ DMK नेता द्वारा एक औपचारिक शिकायत की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि मालवीय ने एक्स (पूर्व ट्विटर) प्लेटफॉर्म पर उदयनिधि की सनातन विरोधी टिप्पणियों को साझा किया था, जिसमे उन्होंने दावा किया था कि द्रमुक नेता और तमिलनाडु के मंत्री (उदयनिधि) ने 80 प्रतिशत लोगों के 'नरसंहार' का आह्वान किया था। इस शिकायत के जवाब में 6 सितंबर को आधिकारिक तौर पर FIR दर्ज की गई है। इसे उदयनिधि के बयानों को जानबूझकर गलत तरीके से पेश करने और आबादी के विभिन्न वर्गों के बीच कलह को बढ़ावा देने के इरादे से दर्ज किया गया था। यह प्राथमिकी तिरुचिरापल्ली दक्षिण जिले के DMK शाखा सदस्य और वकील केएवी दिनाकरन द्वारा शुरू की गई थी, जिन्होंने त्रिची शहर पुलिस आयुक्त के पास एक औपचारिक शिकायत दर्ज की थी। शिकायत में बताया गया है कि युवा कल्याण और खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने 2 सितंबर, 2023 को चेन्नई में तमिलनाडु प्रोग्रेसिव राइटर्स एंड आर्टिस्ट एसोसिएशन के सम्मेलन में विशेष अतिथि के रूप में भाग लिया था। कार्यक्रम के दौरान, उदयनिधि ने सनातन धर्म से संबंधित मामलों को संबोधित किया और बाद में ट्विटर पर उनके भाषण का एक वीडियो साझा किया। शिकायत में आगे कहा गया है कि इस वीडियो के साथ छेड़छाड़ की गई और इसे गलत तरीके से पेश किया गया। शिकायत के अनुसार, एक हेरफेर किया गया वीडियो प्रसारित किया गया था, जिसमें झूठा आरोप लगाया गया था कि उदयनिधि ने सनातन धर्म का पालन करने वाली 80% आबादी के नरसंहार की वकालत की थी। DMK समर्थकों का कहना है कि उदयनिधि स्टालिन ने कभी भी नागरिकों के खिलाफ हिंसा का आह्वान नहीं किया था। इसके बजाय, उन्होंने इससे प्रतिकूल रूप से प्रभावित लोगों की वकालत करते हुए सनातन के सिद्धांतों में निहित जाति और धर्म-आधारित भेदभाव के बारे में चिंता जताई थी। शिकायत में स्टालिन के बयान को स्पष्ट किया गया है, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया है कि उन्होंने सनातन धर्म की तुलना कोरोना, डेंगू और मलेरिया जैसे सामाजिक खतरों से की थी, जिसका अर्थ मानवता को नुकसान पहुंचाने से था। शिकायतकर्ता ने अमित मालवीय पर व्यक्तिगत लाभ और राजनीतिक उद्देश्यों के लिए उदयनिधि स्टालिन के बयान को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया है। इस कृत्य को समुदायों के बीच नफरत और कलह फैलाने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास बताया गया है। इसके साथ ही, शिकायतकर्ता दिनाकरन का आरोप है कि अमित मालवीय के नेतृत्व में भाजपा इस वीडियो को प्रसारित करना जारी रख रही है, जिससे सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ने में योगदान हो रहा है। इस शिकायत के जवाब में, त्रिची पुलिस ने अमित मालवीय पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है, जिसमें 153 (दंगा भड़काने के इरादे से जानबूझकर कार्य करना), 153 (ए) (विभिन्न वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और एकता के प्रतिकूल कार्य करना) 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान), और धारा 505 के तहत मामला दर्ज किया गया है शामिल है। बता दें कि, अपने बयान के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन के बावजूद उदयनिधि स्टालिन लगातार माफी मांगने से इनकार करते रहे हैं. इसके अलावा उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में उदयनिधि और उनके समर्थक कांग्रेस नेता प्रियांक खड़गे के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। उदयनिधि ने अपने बयान में कहा था कि, 'सनातन धर्म, डेंगू-मलेरिया की तरह है, जिस तरह हम डेंगू-मलेरिया का विरोध नहीं करते, बल्कि उसे पूरी तरह खत्म करते हैं, वैसे ही हमें सनातन धर्म को भी खत्म करना होगा।' यहाँ गौर करें कि, जातिवाद मिटाने की बात प्रधानमंत्री मोदी, RSS चीफ मोहन भागवत से लेकर कई दलों के कई नेता करते रहे हैं, इसे समाज सुधार की कोशिश के रूप में देखा जाता है और कोई विवाद नहीं होता, लेकिन जब पूरे धर्म का ही नाश करने की बात की जाए और नेतागण उसका समर्थन भी करें, तो ये निश्चित ही नफरत फ़ैलाने वाली बात है। यही कारण है कि, कई पूर्व जजों, आईएएस अधिकारीयों (262 गणमान्य नागरिकों) ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर उदयनिधि के बयान पर स्वतः संज्ञान लेने और कार्रवाई करने का आग्रह किया है। यह भी गौर करें कि, भगवान शिव का अपमान सुनकर पलटवार के रूप में भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने पैगम्बर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी कर दी थी, जिसका वीडियो मोहम्मद ज़ुबैर ने सोशल मीडिया पर फैलाया था। लेकिन, ज़ुबैर ने अपने एडिटेड वीडियो में केवल नूपुर का बयान शामिल किया था, उसके पहले शिव के अपमान वाली बात उसने काट दी थी। जिससे पता चलता कि, पहले हिन्दू देवता का अपमान हुआ, जिसके जवाब में पैगम्बर पर बयान दिया गया। हालाँकि, इसके बावजूद तमाम केस नूपुर शर्मा पर ही दर्ज हुए थे और ज़ुबैर पर नहीं, यहाँ तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी 'केवल' नूपुर को ही जिम्मेदार माना था, शिवलिंग को प्राइवेट पार्ट कहने वाले मौलाना अब भी टीवी डिबेट में आते रहते हैं, किन्तु नूपुर गुमनाम जिंदगी जीने को मजबूर है। आज बयान उदयनिधि ने दिया है और वीडियो अमित मालवीय ने शेयर किया है, लेकिन तमिलनाडु पुलिस ने केस दर्ज किया है अमित मालवीय पर। ये घटनाक्रम हमारी कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हैं कि, यदि हर भारतीय के लिए एक ही कानून है, तो ये दोहरा मापदंड क्यों ? यदि किसी दूसरे धर्म को खत्म करने की बात कही गई होती, तो क्या यही होता, जो उदयनिधि वाले मामले में हो रहा है ? क्योंकि, जातिवाद तो हर धर्म में है, इस्लाम में भी 72 फिरके हैं, जिनमे से कई एक-दूसरे के विरोधी हैं, तो ईसाईयों में प्रोटेस्टेंट- केथलिक, पेंटिकोस्टल, यहोवा साक्षी में विरोध है। तो क्या समाज सुधारने के लिए उदयनिधि, इन धर्मों को पूरी तरह ख़त्म करने की बात कह सकते हैं ? या फिर दुनिया में एकमात्र धर्म जो वसुधैव कुटुंबकम (पूरा विश्व एक परिवार है), सर्वे भवन्तु सुखिनः (सभी सुखिन रहें) जैसे सिद्धांतों पर चलता है, जो यह मानता है कि, ईश्वर एक है और सभी लोग उसे भिन्न-भिन्न रूप में पूजते हैं, उस सनातन को ही निशाना बनाएँगे ? 'कानून सबके लिए एक, मनीष कश्यप पर NSA, तो उदयनिधि पर क्यों नहीं...', राष्ट्रपति मुर्मू को पत्र 'तिलक लगाने वालों के कारण भारत गुलाम बना..', लालू यादव के खास जगदानंद सिंह के बयान पर मचा विवाद 'मैंने मंदिर में जाने से इंकार कर दिया..', उदयनिधि के बाद अब कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने इस प्रथा को कहा 'अमानवीय'