अफ़ज़ल प्रेमी उमर खालिद को इतनी तवज्जो क्यों ?

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के छात्र उमर खालिद पर पिछले दिनों दिल्ली के कंस्टीटूशन क्लब के बाहर हमले के बाद से विवाद गरमाया हुआ है, हालांकि इस हमले में खालिद को एक खरोंच भी नहीं आई थी. अभी तक तो ये भी साफ़ नहीं हो पाया है कि यह हमला किसी ने किया था, या फिर खुद खालिद ने पब्लिसिटी स्टंट की तरह इसका मुद्दे को इस्तेमाल किया, क्योंकि यह उसका पुराना शगल रहा है. 

उमर खालिद पर हुए हमले की जिम्मेदारी लेने युवकों ने नहीं किया सरेंडर

उमर खालिद पर हुए हमले के नाम पर विवाद बढ़ाने वाले लोगों को पहले खालिद के बारे में जान लेने की जरुरत है. एक ऐसा शख्स जिसपर देशद्रोह होने के आरोप हैं, जिसपर हिन्दू देवी देवताओं की तस्वीरों का तिरस्कार कर हिन्दू समुदाय के लोगों की भावनाएं आहत करने का आरोप है. यहाँ तक कि उमर खालिद के आतंकवादियों के साथ संपर्क होने के भी खबरें आई थी, अफ़ज़ल गुरु को फांसी दिए जाने के बाद JNU में जो मातम मनाया गया था, उसमे भी खालिद शामिल था.

हमने किया था उमर खालिद पर हमला, उसे मारकर आज़ादी का तोहफा देना चाहते थे

2010 में जब छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में भारतीय जवान मुठभेड़ में शहीद हुए थे तब भी जश्न मानाने वालों में खालिद सबसे आगे था, लेकिंन तब उसपर कोई कार्यवाही नहीं की गई. किन्तु जब 9 फरवरी को खालिद ने JNU में देश विरोधी नारे लगाए थे, उसके बाद से दिल्ली पुलिस उनके पीछे पड़ गई थी. उस समय ये अफजल प्रेमी पुलिस से भागता फिर रहा था और अब जब उसी खालिद पर एक हमला हो गया है तो कुछ अफजल प्रेमी और कुछ कम अक्ल वाले हल्ला मचा रहे हैं, जबकि हमले के बारे में भी ये कहा जा रहा है कि ये पूर्वनियोजित था. 

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