मुंबई: महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को जमानत नहीं मिल पा रही है। बीते वर्ष वसूली कांड में बुरी तरह फंस चुके देशमुख गिरफ्तार किए गए थे तथा तब से जेल में ही कैद हैं। कई अवसरों पर अदालत के सामने उनकी जमानत याचिका आई है, किन्तु हर बार उन्हें निराशा ही हाथ लगती है। अब एक बार फिर बॉम्बे उच्च न्यायालय के सामने अनिल देशमुख की जमानत याचिका आई। इस बार भी लंबी सुनवाई चली। किन्तु एक फर्क था, जज भी शायराना हो गए तथा दलील रख रहे अधिवक्ता ने भी शायरी के अंदाज में अपना जवाब दिया। असल में सुनवाई के चलते ASG अनिल सिंह ने कहा था कि उन्हें अपनी बात पूरी करने के लिए कम से कम अभी ढाई घंटे और चाहिए। उन्होंने ये भी खबर दी थी कि अगले सप्ताह वे सुनवाई के लिए नहीं आ पाएंगे। अब क्योंकि अनिल देशमुख को शीघ्र से शीघ्र जमानत चाहिए थी, ऐसे में उनके अधिवक्ता विक्रम चौधरी ने अदालत से इस मामले की जल्द सुनवाई की अपील की। उन्होंने देशमुख के खराब स्वास्थ्य का भी हवाला दिया। इसी बहस पर जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण को एक कविता याद आ गई। ये कविता वास्तव में मुगलों के अंतिम शासक बहादुर शाह जफर के लिए लिखी गई थी। वही जस्टिस चव्हाण ने कहा कि उम्र-ए-दराज़ माँग के लाई थी चार दिन... दो आरज़ू में कट गए दो इंतिज़ार में। कितना है बदनसीब जफर दफ के लिए... दो गज जमीन भी न मिली कूचा-ऐ-यार में। अब जस्टिस चवन ने ये कविता याद करते हुए कहा कि इस महामारी के कारण मनुष्य की जिंदगी कितनी अनिश्चित सी हो गई है। अब जस्टिस चवन ने तो केवल एक शायरी के माध्यम से अपना पक्ष रखा, अदालत में इसके बाद शायरना अंदाज में दलील रखने का सिलसिला चल पड़ा। भारत सरकार ने यूक्रेन में मेडिकल कर रहे छात्रों के बारे में जानकारी दी असम में जापानी बुखार का कहर, अब तक कुल 47 लोगों की मौत हफ्ते में 4 दिन काम, 3 दिन छुट्टी.., प्राइवेट नौकरी करने वालों के लिए आई बड़ी 'खुशखबरी'