नई दिल्ली: केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशीन परिषद (AISSC) के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की, जिसमें देश भर की विभिन्न दरगाहों के प्रमुख सज्जादनशीन शामिल थे। यह बैठक सोमवार शाम को अजमेर दरगाह के वर्तमान आध्यात्मिक प्रमुख के अध्यक्ष और उत्तराधिकारी सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती के नेतृत्व में हुई। इस बैठक में मुस्लिम समुदाय से जुड़े कई प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई। रिजिजू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा कि, "कल शाम अखिल भारतीय सूफी सज्जादनशीन परिषद (AISSC) का एक प्रतिनिधिमंडल, जिसमें भारत भर की विभिन्न दरगाहों के सबसे सम्मानित और प्रमुख सज्जादानशीन शामिल थे, ने अजमेर दरगाह के वर्तमान आध्यात्मिक प्रमुख के अध्यक्ष और उत्तराधिकारी सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती के नेतृत्व में मुस्लिम समुदाय से संबंधित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने के लिए मुझसे मुलाकात की। यह एक उपयोगी और दूरदर्शी चर्चा थी। उन्होंने पूरे समुदाय और सामान्य रूप से अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए पीएम श्री नरेंद्र मोदी जी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने विकसित भारत 2047 के संकल्प के लिए खुद को प्रतिबद्ध भी किया।" विशेष रूप से, बैठक के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला भी मौजूद थे। इस बीच, रिजिजू ने कहा कि गरीब और आम मुस्लिम महिलाओं की ओर से लगातार मांग और अपील की जा रही है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि वक्फ संपत्ति का प्रबंधन मुस्लिम समुदाय के लिए अधिक पारदर्शी, कुशल और लाभकारी तरीके से किया जाए। शीर्ष सरकारी सूत्रों ने खुलासा किया कि इस सप्ताह वित्त विधेयक पारित होने के बाद विधेयक पेश किए जाने की संभावना है। संशोधनों का मसौदा तैयार करने से पहले, सरकार ने व्यापक सुधार सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न मुस्लिम बुद्धिजीवियों और संगठनों से परामर्श किया। प्रस्तावित प्रमुख संशोधनों में से एक जिला कलेक्टर के कार्यालय में वक्फ संपत्तियों का अनिवार्य पंजीकरण है, जिससे उचित मूल्यांकन और निगरानी की अनुमति मिलती है। इसके अतिरिक्त, संशोधनों का उद्देश्य केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों दोनों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करके समावेशिता को बढ़ाना है। क्या भारत में भी बांग्लादेश जैसी स्थिति चाह रहे संजय राउत ? देखें शिवसेना सांसद का बयान रेलवे का बड़ा कदम, इन 10 ट्रेनों के रूट्स में किया बदलाव शेख हसीना के इस्तीफे से बांग्लादेशी कट्टरपंथियों में जश्न, लेकिन भारतीय वामपंथी क्यों खुश ? भारत के लिए चिंता की बात !