नई दिल्ली : नई दिल्ली: संगठित क्षेत्र के कर्मचारी जल्दी ही 20 लाख रुपये तक के कर मुक्त ग्रेच्युटी के लिये पात्र होंगे. केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने श्रम मंत्रालय के साथ त्रिपक्षीय विचार-विमर्श में इस प्रस्ताव पर सहमति जताई है. यूनियनों ने ग्रेच्युटी के भुगतान के लिये प्रतिष्ठान में कम-से-कम 10 कर्मचारियों के होने तथा न्यूनतम पांच साल की सेवा की शर्तों को हटाने की भी मांग की है. आपको बता दें कि त्रिपक्षीय बैठक में अंतरिम उपाय के रूप में ग्रेच्युटी भुगतान की सीमा दोगुनी करने पर सहमत हो गये हैं. बैठक में सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के अनुरूप अधिकतम सीमा 20 लाख रुपये करने के लिये संशोधन का प्रस्ताव किया गया. सातवें वेतन आयोग की सिफारिश को सरकार ने स्वीकार कर लिया है. ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) ने एक बयान में कहा कि अंतरिम उपाय के रूप में अधिकतम भुगतान सीमा 20 लाख रुपये करने को मंजूर कर यूनियनों ने कर्मचारियों की संख्या और सेवा वर्ष के संदर्भ में सीमा हटाये जाने की मांग की है.फिलहाल ग्रेच्युटी भुगतान कानून के तहत एक कर्मचारी ग्रेच्युटी के लिये न्यूनतम पांच साल की सेवा पूरी होना और ऐसे प्रतिष्ठानों में न्यूनतम 10 कर्मचारियों की संख्या होना अनिवार्य है. एटक के बयान के अनुसार अधिकतम राशि के संदर्भ में संशोधित प्रावधान एक जनवरी 2016 से प्रभाव में आने चाहिए जैसा कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के मामले में हुआ है. यूनियनों ने यह भी मांग की है कि सेवा के प्रत्येक साल के लिये ग्रेच्युटी भुगतान को 15 दिन के वेतन से बढ़ाकर 30 दिन के वेतन के बराबर किया जाए. यह भी पढ़ें PF पर 8.65 फीसदी ब्याज को वित्त मंत्रालय की मंजूरी के संकेत निर्माणाधीन इमारत गिरने से 12 मजदूरों की मौत