कोरोना पर लगाम लगाने के लिए विश्वस्तर के कई मुल्कों में लॉकडाउन के ऑप्शन को अपनाया गया. अब एक रिसर्च वैज्ञानिक ने दावा किया है, कि इस लॉकडाउन की वजह से मोटापा महामारी का रूप ले सकता है. रिसर्च में कहा गया है कि लॉकडाउन से लोग भावनात्मक तनाव और आर्थिक चिंता के शिकार भी हो सकते हैं. ऐसे में शोधकर्ताओं ने लोगों को सामाजिक आर्थिक सुरक्षा के उपायों को अपनाने और सामुदायिक मदद बढ़ाने की राय दी है. स्वर्ग के काम नहीं ये फूलों की घाटी, एक बार जिसने देख लिया वो कभी नहीं भूल पाया शोध में सम्मिलित डेनमार्क के कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने बताया कि कोरोना का मुकाबला करने के लिए लॉकडाउन करने से लोगों में मनोवैज्ञानिक और सामाजिक असुरक्षा की भावना पैदा हो रही है. इससे वे मोटापे का शिकार हो सकते हैं. जर्नल नेचर रिव्यू एंडोक्रिनोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के निष्कर्ष में कहा गया है कि कोरोनो महामारी से लोगों को स्वस्थ और सुरक्षित रखने के लिए पाचन प्रक्रिया को स्वस्थ बनाए रखने की भी आवश्यकत है. शोधकर्ताओं का यह भी मानना है कि महामारी के इस दौर में मोटापे पर भी शोध करने की आवश्यकत है, ताकि लोगों को इससे निपटने के लिए सही राय दी जा सके. अमेरिका में भी मनाया जाएगा आज़ादी का जश्न, टाइम्स स्क्वायर पर पहली बार लहराएगा तिरंगा इसके अलावा कोपेनहेगन विश्वविद्यालय में कार्यरत और रिसर्च के सह-लेखक क्रिस्टोफर क्लेमेंसेन ने बताया, ‘हम इस बात से चिंतित हैं कि नीति निर्माता इस बात को पूरी तरह से समझ नहीं पा रहे हैं, कि लॉकडाउन और कारोबार बंद करने जैसे उपाय मोटापा बढ़ने की वजह कैसे बन सकती हैं. गौर करने वाली बात यह है कि यह एक गंभीर बीमारी है और इसके उपचार के सीमित विश्वसनीय उपाय हैं. इसलिए यह जरूरी है, कि इसके बारे में लोगों को जागरूक किया जाए. शोध में क्लेमेंसेन और उनकी टीम ने बताया है कि कोरोना पर काबू पाने की योजनाओं से मोटापे की दर कैसे बढ़ सकती है. डोनाल्ड ट्रंप के छोटे भाई का निधन, 'हनी' कहकर बुलाते थे राष्ट्रपति लंदन में सफल नहीं हुई स्वतंत्रता दिवस पर पाक के अलगाववादी संगठनों के हंगामे की साजिश भारत में नकली सोने का काला धंधा करने वाला दाऊद इब्राहिम का नेपाली साथी गिरफ्तार