महामारी कोरोना से ठीक हो चुके भारतीय व दक्षिण एशियाई नागरिकों से ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा ने शुक्रवार को प्लाज्मा दान करने की गुजारिश की है. भयानक वायरस से संक्रमित लोगों की जिंदगियां बचाने के लिए इन प्लाजमा का उपयोग किया जाएगा. विशेषज्ञों के अनुसार, दक्षिण एशियाई पृष्ठभूमि के लोगों में श्वेत लोगों की तुलना में अधिक एंटीबॉडीज हैं. NHS ने बताया कि प्लाज्मा की अधिक मात्रा वाले एंटीबॉडी कोरोना वायरस के चंगुल में फंसे लोगों को ठीक करने में कारगर है. मुल्क में महामारी की दूसरी लहर की आशंका के चलते ऐसा घोषणा की है. कोरोना वैक्सीन को लेकर कई मुल्कों में हो सकती है जंग इससे पहले ब्रिटेन की गवर्नमेंट ने भारतीय समेत अन्य पृष्ठभूमि वाले अल्पसंख्यक समुदायों से और ज्यादा लोगों को कोरोना के संभावित टीके के लिए चल रहे क्लीनिकल टेस्ट में सम्मिलित होने की गुजारिश की है. इसके लिए विभिन्न समुदायों से संपर्क साधने के उपायों में गुजराती, पंजाबी, बांग्ला और उर्दू में प्रसारित लक्षित भर्ती कार्यक्रम भी सम्मिलित हैं. समूचे ब्रिटेन में एक लाख से ज्यादा लोगों ने टीके के टेस्ट में स्वयंसेवी के तौर पर भाग लिया है. आखिर क्यों अपनी बहन को और ताकतवर बना रहे किम जोंग ? खून का प्रमुख भाग प्लाज्मा है. खून में आरबीसी, डब्ल्यूबीसी और प्लेटलेट्स के अलावा अन्य सभी द्रव्य वस्तु को प्लाज्मा कहा जाता है. मानव बॉडी के रक्त में करीब 55 प्रतिशत से अधिक प्लाज्मा होता है. प्लाज्मा में पानी के अलावा हार्मोंस, प्रोटीन, कार्बन डाइऑक्साइड और ग्लूकोज मिनरल पाए जाते हैं. रक्त में हिमोग्लोबिन और आयरन की वजह से रक्त लाल होता है. जिसका प्रभाव वक्त के साथ शरीर के हर हिस्से पर पड़ता है. पाकिस्तानी मंत्री का बयान- मुसलमानों को बचाते हुए असम तक भेद सकता है हमारा परमाणु हथियार रूस की कोरोना वैक्सीन पर सवाल बरक़रार, अगले हफ्ते शुरू होगी स्पुतनिक-V की स्टडी पुतिन के मुखर आलोचक Alexei Navalny कोमा में, दिया गया था जहर