महात्मा गांधी ने नहीं सुना था नेहरू का ऐतिहासिक भाषण, आजादी के जश्न से भी थे दूर

15 अगस्त का दिन हर भारतीय के लिए काफी ख़ास और अहम् होता है। इस दिन से हर भारतीय के दिल के तार जुड़ें हुए हैं। यहीं वो दिन है जब दशकों की गुलामी के बाद हमें साल 1947 में अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिली थी। अनगिनत बलिदानों के बाद 15 अगस्त 1947 का दिन भारतीयों के लिए एक बहुत बड़ी खुशी और उम्मीद लेकर आया था। माँ भारती को अंग्रेजों से आजाद कराने में अनगिनत बेटों की कड़ी मेहनत, संघर्ष, हौंसला, जज्बा और जूनून रहा है। ऐसे ही एक माँ भारती के सपूत जो कि बाद में देश के राष्ट्रपिता बन गए यानी कि महात्मा गांधी का बलिदान भी देश की आजादी में अतुलनीय है। महात्मा गांधी ने देश को आजाद कराने में अपना पूरा जीवन व्यतीत किया। उन्होंने भारत को आजाद होते हुए अपनी आँखों से देखा था, लेकिन उस दौरान पंडित जवाहरला नेहरू द्वारा दिया गया भाषण वे नहीं सुन पाए थे। जानिए आखिर क्यों पंडित नेहरू के दिए ऐतिहासिक भाषण को महात्मा गांधी सुन नहीं पाए थे।  

आपको जानकारी के लिए बता दें कि भारत की आजादी वाली रात पंडित नेहरू ने अपना भाषण 'ट्रिस्ट विद डेस्टिनी' 14 अगस्त की मध्यरात्रि को वायसराय लॉज से दिया था, पंडित नेहरू के इस भाषण को पूरी दुनिया ने सुना था, लेकिन महात्मा गांधी इसे नहीं सुन सके थे। ऐसा इसलिए क्योंकि यह भाषण मध्यरात्रि को दिया गया था और महात्मा गांधी उस दिन 9 बजे ही विश्राम के लिए चले गए थे। 

इतना ही नहीं महात्मा गांधी भारत की आजादी के जश्न में भी शरीक नहीं हो सके थे। ऐसा इसलिए क्योंकि 15 अगस्त के दिन महात्मा गांधी नई दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर पश्चिम बंगाल के नोआखली में थे। उस समय इस स्थान पर हिन्दू-मुस्लिम के बीच साम्प्रदायिक हिंसा हुई थी और इसके लिए महात्मा गांधी अनशन पर थे। 

 

 

 

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