14 मार्च से 14 मई तक रहेगी वसंत ऋतु, जानिए ग्रंथों में बताई गई है खास बातें

वसंत ऋतु का अपना ही महत्व है। आप सभी को बता दें कि भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में स्वयं कहा है कि "ऋतुओं में मैं वसंत हूं।" जी हाँ और इस बार वसंत ऋतु की शुरूआत 15 मार्च से हो रही है। ऐसे में ज्योतिष और धर्म ग्रंथों के जानकारों का कहना है कि वैदिक काल में इसी ऋतु से नए साल की शुरुआत मानी जाती थी। वहीं दूसरी तरफ शिवपुराण के अनुसार, भगवान शिव की तपस्या भंग करने के लिए कामदेव ने ही इस ऋतु की उत्पत्ति की थी। अब आइए जानते हैं कब से कब तक रहेगी ये ऋतु? और इससे जुडी कुछ खास बातें।

ऋतुओं का खगोलीय आधार सूर्य होता है। जी हाँ और इसके राशि परिवर्तन से ही मौसम बदलते हैं। वहीं ज्योतिष के सबसे खास ग्रंथ सूर्यसिद्धांत में बताया है कि जब सूर्य मीन और मेष राशि में हो तो वसंत होती है जो इस बार 15 मार्च से शुरू होगी और 14 मई तक रहेगी। इसी के साथ वसंत को ऋतुओं का राजा इसलिए कहा गया है क्योंकि इस ऋतु में धरती की उर्वरा शक्ति यानि उत्पादन क्षमता अन्य ऋतुओं की अपेक्षा बढ़ जाती है। आप सभी को बता दें कि भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में स्वयं को ऋतुओं में वसंत कहा है। जी हाँ और वह सारे देवताओं और परम शक्तियों में सबसे ऊपर हैं वैसे ही वसंत ऋतु भी सभी ऋतुओं में श्रेष्ठ है। इसी के साथ इस ऋतु की शुरुआत में सूर्य अपनी मित्र और उच्च राशि यानी मीन और मेष में रहता है, जिससे आत्मविश्वास बढ़ता है।

आप सभी को बता दें कि इस वक्त न तो ज्यादा ठंड और न ज्यादा गर्मी होने से मौसम सुहाना होता है, जिससे उत्साह और सकारात्मकता बढ़ती है। इसी के साथ इस मौसम में नई फसल आने पर उल्लास और खुशी के साथ त्यौहार मनाए जाते हैं। आप सभी को बता दें कि इस ऋतु में ही इंसानों और जीवों में प्रजनन शक्ति बढ़ जाती है, इस वजह से इसे सृजन की ऋतु भी कहते हैं। ऐसा माना जाता है वैदिक काल की पहली ऋतु वसंत ही थी। वहीं जब ऋतुएं बदलती हैं त्रिदोष बढ़ते हैं। जी हाँ और इससे बचने के लिए व्रत की परंBASANT,परा बनाई गई है। इस वजह से वसंत ऋतु के आरंभ में चैत्र नवरात्रि के दौरान व्रत किए जाते हैं, जिससे शरीर में हार्मोंन और अन्य चीजों का संतुलन बना रहता है।

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