सावन शिवरात्रि पर अविवाहित लड़के और लड़कियां करें इन मन्त्रों के जाप, दूर होगी विवाह में आ रही अड़चन

इन दिनों महादेव का प्रिय सावन मास चल रहा है। वैसे तो ये पूरा महीना ही शिव पूजा के लिए विशेष माना गया है, लेकिन इस महीने में आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का महत्व सबसे ज्यादा है। इस तिथि पर मासिक शिवरात्रि का व्रत किया जाता है। इस बार सावन शिवरात्रि का व्रत 15 जुलाई, शनिवार को किया जाएगा। इस दिन कई शुभ योग भी रहेंगे, जिसके चलते इसकी अहमियत और भी बढ़ गई है। इसमें देवों के देव महादेव की पूजा की जाती है साथ ही विशेष कार्य में सिद्धि के लिए उपवास रखा जाता है. इस व्रत को स्त्री और पुरूष दोनों ही रख सकते हैं. सावन शिवरात्रि व्रत करने के फलस्वरूप विवाहित महिलाओं को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. वहीं अविवाहित लोगों की जल्द ही शादी हो जाती है.

जल्द शादी के उपाय:- यदि आप किसी से प्रेम करते हैं तथा उनसे विवाह करना चाहते हैं तो सावन शिवरात्रि पर कच्चे दूध में शहद एवं सुगंध मिलाकर भगवान शिव को अर्पित करें एवं 'ॐ क्लीं कृष्णाय नमः' मंत्र का जाप करें. इस उपाय को करने से प्रेम विवाह के रास्ते सरल होने लगते हैं. यदि आपकी कुण्डली में अशुभ ग्रहों की वजह से विपदा आ रही है तो सावन शिवरात्रि पर स्नान-ध्यान कर श्वेत वस्त्र धारण कर जल में काले तिल, कुमकुम, शहद एवं सुगंध मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें. इस समय ''ॐ सृष्टिकर्ता मम विवाह कुरु कुरु स्वाहा'' मंत्र का जाप करें. इस उपाय का पालन करने से जल्द विवाह के योग बनने लगते हैं. यदि आपके विवाह में रह रह कर बाधा आ रही है तो सबसे पहले कुण्डली विश्लेषण कराएं, उसका निवारण करें और शिवरात्रि पर स्नान ध्यान करके शिव जी की विधिवत पूजा करें. इस वक़्त भगवान महादेव एवं माता पार्वती की प्रतिमा को 7 बार लाल मौली से गठबंधन करें. इस उपाय को करने से जल्द विवाह के योग बनते हैं. इसके अतिरिक्त मंत्रों का जाप करने से भी विवाह के शुभ योग बनते हैं-

अविवाहित लड़के इन मंत्रों का जाप करें:- पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणिम्। तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम।। ''ॐ सृष्टिकर्ता मम विवाह कुरु कुरु स्वाहा''

अविवाहित लड़कियां इन मंत्रों का जाप करें:- ॐ श्रीं वर प्रदाय श्री नमः” क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा। ॐ ग्रां ग्रीं ग्रों स: गुरूवे नम:। ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि। नंदगोपसुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नम:॥

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