यूं तो चारों राज्यों के चुनाव परिणामों पर देश भर की नजर थी लेकिन राजनीति के अखाड़े बने उत्तर प्रदेश को लेकर जनता में विशेष उत्साह रहा क्योकि जिस तरह से वहां के राजनीतिक हालात रहे उससे निश्चित ही चुनाव परिणाम और अधिक रोचक हो गया था। यूपी चुनाव की यदि बात करें तो यहां बीजेपी ने पूरा दमखम दिखाया। कुल मिलाकर यह कहा जाये तो भी कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि यूपी चुनाव में बीजेपी की फतह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की व्यूह रचना का ही सार्थक परिणाम है। जिस तरह से लोकसभा चुनाव में दोनों की जोड़ी ने बीजेपी को केन्द्र की सत्ता का सुख दिलाया, ठीक उसी तरह यूपी में भी दोनांें का ’तेज दिमाग’ काम करता रहा। यह तो नहीं कहा जा सकता है कि बीजेपी नेताओं को यूपी में अपनी पार्टी की जीत की पूरी उम्मीद थी, बावजूद इसके जिस तरह से वहां बीजेपी की फतह हुई है उसमें नरेन्द्र मोदी तथा अमित शाह की चाणक्य रणनीति जरूर कामयाब रही है। रही बात उत्तराखंड विधानसभा चुनाव की तो यहां बीजेपी को बेउम्मीद रूप से जीत मिली है। नोटबंदी का फैसला हो या फिर चाहे कालेधन के खिलाफ नरेन्द्र मोदी की मूहिम ही क्यों न हो, उसने उन लोगों को प्रभावित किया है, जो वास्तव में ईमानदारी से जीना चाहते है। यह बात दीगर है कि मोदी की नोटबंदी को यूपी चुनाव में कांग्रेस के साथ ही अखिलेश यादव एवं मायावती ने मुद्दा बनाकर जनता को ’बरगलाने’ का प्रयास किया हो, बावजूद इसके जनता ने अपनी समझदारी से वोट देकर मोदी को अपना समर्थन दिया है, ऐसा कहा जा सकता है। पंजाब की तस्वीर तो पहले ही साफ हो गई थी कि हो न हो यहां कांग्रेस का ही परचम लहरायेगा, लिहाजा यहां बीजेपी और उसकी समर्थक अकाली दल की ’भद’ हुई है तो वहीं कांग्रेस को पंजाब में जीत से ही संतुष्ट होना होगा। पंजाब की राजनीति में उस वक्त परिवर्तन समक्ष में आ गया था जब नवजोतसिंह सिद्धू ने बीजेपी को अलविदा कहकर कांग्रेस का हाथ थामा था। खैर जनता समझदार है और वह जिसे चाहे उसे सत्ता पर काबिज कर सकती है। मोदी का जादू बरकरार है, इसमें कोई दोराय नहीं होना चाहिये। यूपी मंे यादव कुनबे की लड़ाई, सपा को ले डुबी और इसी लड़ाई ने बीजेपी का रास्ता साफ कर दिया था। राहुल गांधी ने दम दिखाया, लेकिन उनकी राजनीतिक अपरिपक्वता से कांग्रेस की राह पर कांटे बिछ गये। स्थिति यह हो गई कि कांग्रेस के ही वरिष्छ नेता दिग्विजय सिंह को यह कहना पड़ा कि कांग्रेस में अब सर्जरी की जरूरत है। खैर, जातिवाद, परिवारवाद जैसे मुद्दों को दरकिनार करने वाली जनता ने यूपी और उत्तराखंड जैसे बड़े राज्यों में बीजेपी को मौका दिया है। अब बीजेपी पर यह निर्भर करता है कि वह जनता के विश्वास पर कितना खरी उतरेगी। -शीतलकुमार ’अक्षय’